नोएडा प्राधिकरण ने बकाया भुगतान न होने के आधार पर एम्स मैक्स गार्डेनिया की संपत्तियां कुर्क करने का बुधवार को आदेश जारी कर दिया। इसके साथ ही प्राधिकरण ने कहा कि इन दोनों परियोजनाओं में फंसे सभी 3,379 फ्लैट खरीदारों के पक्ष में नियमों के अनुरूप रजिस्ट्री की कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
अथॉरिटी के अनुसार मानकों के तहत आवासीय परिसरों में दूरसंचार टावर लगाने की इजाजत नहीं है। लेकिन इस आदेश से टेलिकॉम कंपनियों की भी नींद उड़ी हुई है।
जमीन की वास्तविक कीमत 180 करोड़ रुपये है लेकिन पंजीयन शुल्क एवं पट्टा शुल्क मिलाकर दाम 250 करोड़ रुपये पर पहुंच गए। यह परियोजना अगले 24 महीने में पूरी होगी और कंपनी को इससे 1,200 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने का अनुमान है।
कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) के अनुसार, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद में 1 लाख करोड़ रुपये की 190,000 यूनिट फंसी हुई हैं।
आज नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) इंडस्ट्रियल प्लॉट स्कीम को लॉन्च करने जा रही है। इसके लिए जरूरी सारी प्रक्रिया पहले ही पूरी कर ली गई है। आज से लेकर 26 सितंबर तक इसके लिए रजिस्ट्रेशन (Registration) कराए जा सकेंगे।
महेश्वरी ने बताया कि बैठक में यह संज्ञान में आया कि कई प्रमोटर्स ने सोसायटी में एओए का गठन होने के बावजूद अब तक आईएफएमएस फंड की राशि का हस्तांतरण नहीं किया है।
प्राधिकरण की दरों और सर्किल रेट के बीच काफी अंतर है। इस अंतर को खत्म करने के लिए नए सर्किल रेट की सूची तैयार की गई है।
नोएडा प्राधिकरण ने बुधवार को कहा कि उसने रीयल एस्टेट डेवलपर वेव समूह से 1.08 लाख वर्ग मीटर वाणिज्यिक भूमि को वापस ले लिया है।
गौतम बुध नगर जिला प्रशासन ने एक फर्म से एक दिन में 22.25 करोड़ की वसूली करके इतिहास रचा है। गौतमबुद्ध नगर जिले के इतिहास में एक दिन में इतनी बड़ी वसूली पहले कभी नहीं हुई। नोएडा प्राधिकरण ने इस वसूली के लिये ईटी इंफ्रा डेवलपर्स प्रा. लि. के खिलाफ आरसी जारी की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों अथॉरिटीज को आदेश दिया कि वे आम्रपाली के घर खरीदारों के फ्लैट्स के रजिस्ट्रेशन का काम शुरू कर दें।
नोएडा में स्थित 1800 वर्ग मीटर तक की औद्योगिक इकाइयों के बाहर खड़े होने वाले वाहनों की पार्किंग अब नोएडा प्राधिकरण की तरफ से नहीं वसूली जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोएडा में सुपरटेक की 40 मंजिला दो आवासीय इमारतें एमेराल्ड टावर्स यदि बिना उचित मंजूरी के बनाई गईं हैं तो इन्हें ढहा दिया जाएगा।
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