वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में ऑटोमोबाइल उद्योग पर पड़े प्रतिकूल प्रभाव के लिए युवाओं को जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद अब ट्विटर पर हजारों ऐसे ट्वीट किए जा रहे हैं, जिनमें उन पर तंज कसा जा रहा है।
सरकार ने आज शनिवार को कहा कि देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए 2024-25 तक 100 लाख करोड़ रुपए के निवेश बड़ी योग्य ढांचागत परियोजनाओं की पहचान करने के लिये एक उच्च स्तरीय कार्यबल गठित किया गया है।
देश में आर्थिक सुस्ती की चिंता को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि मुद्रास्फीति (महंगाई दर) पूरी तरह नियंत्रण में है और 2014 से इसमें कोई वृद्धि नहीं हुई है। सीतारमण ने उद्योग और कर अधिकारियों के साथ यहां मुलाकात के बाद कहा, 'मुद्रास्फीति बिल्कुल नियंत्रण में है।
देश में आर्थिक सुस्ती गहराने को लेकर बढ़ती चर्चा के बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि सरकार सभी क्षेत्र की चुनौतियों पर गौर कर रही है और इनको लेकर आगे कदम उठायेगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रस्तावि विलय से कर्मचारियों की नौकरी जाने के खतरे की चिंता को खारिज किया है। उन्होंने कहा है कि विलय के इन निर्णयों से किसी एक कर्मचारी की भी नौकरी नहीं जाएगी।
सुस्त अर्थव्यवस्था को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा की गई टिप्पणी पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रतिक्रिया दी है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 'मैं उद्योग प्रतिनिधियों से मिल रही हूं और उनकी समस्याएं और सरकार से वे क्या चाहते हैं, इस पर सुझाव ले रही हूं। मैं पहले ही यह दो बार कर चुकी हूं। मैं यह बार-बार करूंगी।'
लेखा महा नियंत्रक (सीजीए) के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई के आखिर में राजकोषीय घाटा यानी व्यय एवं राजस्व का अंतर की यदि पूरे आंकड़े की बात करें तो यह 5,47,605 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
बैंक कर्मचारी संघों ने 10 सरकारी बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने के फैसले का शुक्रवार को विरोध करते हुए कहा कि यह फैसला उनकी समझ से परे हैं और इसके पीछे कोई तर्क नहीं दिखाई देता है।
आर्थिक सुस्ती को दूर करने के प्रयासों के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 4 प्रमुख सरकारी बैंकों पीएनबी, केनरा, यूनियन बैंक और इंडियन बैंक में छह अन्य बैंकों के विलय की घोषणा की। 10 बैंकों के मर्जर का फैसला देश के बैंकिंग इतिहास में दूसरा बड़ा फैसला है।
सरकार ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह सरकारी बैंकों में 55,250 करोड़ रुपये डालेगी, ताकि कर्ज देने को बढ़ावा दिया जा सके और विलय किए जाने वाले कर्जदाताओं का विनियामक अनुपाल सुनिश्चित की जा सके। इससे पहले सरकार ने 10 सरकारी बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने की घोषणा की थी।
सरकार ने आर्थिक सुस्ती दूर करने और देश में विश्वस्तरीय बैंक बनाने की दिशा में बड़ी पहल करते हुये सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने की शुक्रवार को घोषणा की।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बैंकों के मेगा मर्जर प्लान के दूसरे चरण को आगे बढ़ाते हुए कई बड़े ऐलान किए।
केंद्र सरकार ने सुधारों को आगे बढ़ाते हुए शुक्रवार को 10 सरकारी बैंकों (पीएसबी) को मिलाकर चार बैंक बनाने की घोषणा की है। इसमें ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को पंजाब नेशनल बैंक में मिला दिया जाएगा। वित्त मंत्री ने 1971 के बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद से सबसे बड़ी बैंकिंग सुधार की घोषणा की है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुनाफे में सुधार हुआ है। बैंक का कुल फंसा कर्ज (एनपीए) दिसंबर 2018 के अंत में 8.65 लाख करोड़ रुपये से घटकर मार्च 2019 अंत में 7.9 लाख करोड़ रुपये रह गया।
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के मामले में बड़ा कदम उठाते हुए शुक्रवार को ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ विलय की घोषणा की है। इन बैंकों के विलय से पीएनबी देश का दूसरा बड़ा सरकारी बैंक बन जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को तेज गति देने के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है। उनका कहा है कि सरकारी बैंकों में बड़े सुधार की जरुरत है। बैंकों ने अब कदम उठाने शुरू कर दिए है। 8 बड़े बैंकों ने अपनी ब्याज दरों रेपो रेट से जोड़ा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज शाम 4 बजे नेशनल मीडिया सेंटर में मीडिया को संबोधित करेंगी। कहा जा रहा है कि देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मीडिया को संबोधित करते हुए आज बड़े ऐलान भी कर सकती हैं।
उपभोग को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कई अन्य उपायों पर चर्चा चल रही है और आने वाले हफ्तों में इनकी घोषणा की जाएगी। उन्होंने दोहराया कि अवसंरचना पर व्यय बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता है।
मंत्री ने कहा कि इसलिए मेरी गुजारिश है कि कर वसूलने की प्रक्रिया में महत्वाकांक्षी न बनें। अगर इसमें थोड़ी कमी आती है तो भी इसे बड़ी आसानी से पूरा कर लिया जाएगा।
विपक्षी नेताओं को इस तरह के बयान देने से पहले अपनी पार्टी के पूर्व वित्त मंत्रियों से बात कर लेनी चाहिए थी।
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