विनिर्माण क्षेत्र के प्रदर्शन का समग्र सूचक निक्केई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जुलाई में गिरकर 52.3 हो गया, जो कि जून में 53.1 था।
देश में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में अप्रैल महीने में मामूली सुधार हुआ है। इसकी प्रमुख वजह नए ऑर्डर में तेजी, मांग की अनुकूल स्थितियों के बीच महंगाई के दबाव का कम होना रहा।
देश के सेवा क्षेत्र में मार्च माह में गतिविधियां तेज हुई हैं। बड़ी मात्रा में नया कामकाज आने के बाद सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गई। इसके परिणामस्वरूप कंपनियों में रोजगार सृजन तेजी से बढ़ा है और यह पिछले सात वर्ष के उच्चस्तर पर पहुंच गया।
कारखानों में उत्पादन और नए कारोबारी ऑर्डर में वृद्धि की गति धीमी पड़ने से देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों फरवरी में चार महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई। हालांकि, जनवरी के मुकाबले इसमें गिरावट मामूली रही।
विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर जनवरी में तीन माह के निचले स्तर पर पहुंच गई। इसकी अहम वजह कारखानों का उत्पादन, नए ऑर्डर और रोजगार वृद्धि का धीमा रहना है। यह बात कंपनियों के परचेजिंग मैनेजरों के बीच किए जाने वाले एक मासिक सर्वेक्षण में सामने आयी है।
सालभर परेशानियों के दौर से जूझने वाले भारत के विनिर्माण क्षेत्र के लिए 2017 का अंतिम महीना शानदार वृद्धि लाने वाला रहा। दिंसबर में परिचालन स्थितियां बेहतर रहने से यह पांच महीने के उच्च स्तर पर रहा।
GST के कारण अक्टूबर में निक्केई इंडिया का मैन्युफैक्चरिंग PMI अक्टूबर में घटकर 50.3 पर आ गया, जो सितंबर में 51.2 पर था।
शेयर बाजार में पिछले चार दिनों से जारी तेजी पर आज विराम लग गया और मुनाफा वसूली से बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 79.68 अंक की गिरावट के साथ बंद हुआ।
नए ऑर्डर मिलने से जून माह के दौरान सर्विस सेक्टर की गतिविधियों में जोरदार उछाल आया है और इस क्षेत्र का PMI आंकड़ा 53.1 अंक पर पहुंच गया।
मासिक आधार पर सेवा क्षेत्र के उत्पादन की निगरानी करने वाला निक्केई इंडिया का सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) मई में बढ़कर 52.2 पर पहुंच गया।
देश का सर्विस सेक्टर PMI में लगातार दूसरे महीने बढ़ा। निक्केई सर्विसिज के मुताबिक फरवरी के मुकाबले मार्च में सर्विस सेक्टर PMI 50.3 से बढ़कर 51.5 हो गया है।
निक्की मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई अनुसार फरवरी में विनिर्माण सूचकांक बढ़कर 50.7 रहा जो जनवरी के 50.4 के आंकड़े से अधिक है।
नोटबंदी का असर देश के सर्विस सेक्टर की गतिविधियों पर पड़ा है। दिसंबर में लगातार दूसरे महीने सर्विस सेक्टर के कारोबार में संकुचन हुआ और नए ऑर्डर भी घटे हैं।
देश में कारोबार की परिस्थितियों में सुधार के साथ विनिर्माण क्षेत्र की ग्रोथ दर अगस्त में 13 माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। पीएमआईउछलकर 52.6 हो गया।
निक्की मार्किट इंडिया मैनुफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जून में बढ़कर 51.7 हो गया जो मई में 50.7 था। इसका कारण नए ऑर्डर में वृद्धि है।
बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स आज लगभग 46 अंक चढ़कर 26,713.93 अंक पर बंद हुआ। आईटी और रीयल्टी कंपनियों के शेयरों में चमक देखने को मिली।
देश के सर्विस सेक्टर में नए ऑर्डर में धीमी ग्रोथ और मैन्युफैक्चरर्स के ऑर्डर बुक स्थिर रहने के कारण अप्रैल में प्राइवेट सेक्टर की गतिविधि घटी है।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियां अप्रैल में चार महीने के न्यूनतम स्तर पर आ गई। एक सर्वे के अनुसार इसका कारण अप्रैल में नए आर्डर का स्थिर होना है।
निक्केई इंडिया मिक्स्ड पीएमआई आउटपुट इंडेक्स मार्च में 54.3 पर पहुंच गया, फरवरी में 51.2 पर था। निक्केई इंडिया के मुताबिक नए ऑर्डर मिलने से बढ़ोतरी हुई है।
अक्टूबर में मैन्युफैक्चरिंग 22 महीने के निचले स्तर पर आ गई है। इस दौरान भारत का निक्केई मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई इंडेक्स घटकर 50.7 रहा है।
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