हाल ही में NCLAT ने कर्ज में डूबी आईएलएंडएफएस समूह को शेष 58 कंपनियों के लिए समाधान प्रक्रिया 31 मार्च 2025 तक पूरा करने का निर्देश दिया था।
एजेंसी ने कहा कि अदालत ने 25 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया। इसमें पीएमएलए की धारा 8(7) के अनुसार आरोपियों को ‘भगोड़ा अपराधी’ घोषित किये जाने के कारण आधिकारिक परिसमापक के माध्यम से कर्ज देने वाले बैंकों के समूह को कुर्क की गई संपत्तियों को वापस करने की अनुमति दी गई।
दिग्गज एडटेक कंपनी बायजू वर्तमान में दिवाला कार्यवाही का सामना कर रही है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा 158.9 करोड़ रुपये के बकाये की वसूली के लिए एनसीएलएटी से संपर् किया था। जिसके बाद एनसीएलटी ने बायजू के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू की थी।
कंपनी ने कर्जदाताओं द्वारा मंजूर योजना का विवरण साझा नहीं किया है। इसने बताया कि एफएलएफएल के लिए कंपनी दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) अवधि 26 अगस्त, 2024 को समाप्त हो गई।
राम किशोर अरोड़ा के वकील ने कहा कि बैंक की बकाया राशि के 100 प्रतिशत भुगतान के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है, जिसका उल्लेख बैंक को दिए गए आवेदन में किया गया है।
एनसीएलटी का ये आदेश गो फर्स्ट के समाधान पेशेवर की तरफ से दिवाला और ऋणशोधन अक्षमता संहिता (IBC) की धारा 33 (1) के तहत दायर एक आवेदन पर आया है। निर्धारित समयसीमा में उचित खरीदार खोज पाने में कर्जदाताओं के नाकाम रहने के आधार पर इस आवेदन में गो फर्स्ट के लिक्विडेशन का अनुरोध किया गया था।
शर्तों में 31 जुलाई तक सीओसी द्वारा निर्दिष्ट घरेलू एस्क्रो खाते में 250 करोड़ रुपये की प्रारंभिक इक्विटी राशि जमा करना और ऋणदाताओं द्वारा निर्दिष्ट अपतटीय एस्क्रो खाते में 2,500 करोड़ रुपये जमा करना शामिल था।
दिवाला अधिकरण ने 8 अप्रैल को 60 दिन का विस्तार दिया था जो 3 जून 2024 को समाप्त हो गया था। दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार सीआईआरपी को 330 दिन के भीतर पूरा करना अनिवार्य है।
एनसीएलटी ने दोनों एयरलाइनों को अपने नेटवर्क, मानव संसाधन और बेड़े की तैनाती को एकीकृत करने की भी अनुमति दी है। मर्जर के बाद सिंगापुर एयरलाइंस के पास शेष 25.1% हिस्सा होगा। इस साल मार्च में सिंगापुर के प्रतिस्पर्धा नियामक ने भी एयर इंडिया और विस्तारा के बीच विलय को मंजूरी दे दी थी।
इससे पहले राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने सोमवार को जेएएल के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया था।
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) मुंबई ने 27 फरवरी को समाधान योजना को मंजूरी देते हुए आईआईएचएल को 90 दिनों के भीतर यानी 27 मई तक समाधान योजना को लागू करने का निर्देश दिया था।
अपीलीय न्यायाधिकरण ने फ्लैट खरीदारों की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि वे एक अलग वर्ग के हैं और दिल्ली रेरा के एक आदेश में डेवलपर को 22 अक्टूबर 2022 को ब्याज के साथ राशि वापस करने का निर्देश दिया गया था।
सफल बोलीदाता को सौंपने के बाद जेट एयरवेज कामकाज और परिचालन शुरू कर सकती है। यह नियामकीय मंजूरी पर निर्भर करेगा। जेट एयरवेज ने बयान में कहा कि एनसीएलएटी ने बिना किसी बदलाव के मूल रूप से स्वीकृत समाधान योजना के क्रियान्वयन को मंजूरी दे दी है।
गो फर्स्ट ने मई 2023 में प्रैट एंड व्हिटनी की इंजन विफलताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए दिवालिया घोषित कर दिया। तब से, एयरलाइन कानूनी और प्रशासनिक बाधाओं में उलझा है।
एनसीएलटी ने कहा था कि दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की धारा 29ए ऐसे व्यक्तियों को समाधान योजना जमा करने से रोकती है क्योंकि इसका पूरे सीआईआरपी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
सुरक्षा कर्ज में डूबी जेपी समूह की कंपनी में 250 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है, साथ ही अगले चार वर्षों में फ्लैटों को पूरा करने के लिए 3,000 करोड़ रुपये का ऋण भी दे रही है।
एनसीएलटी ने यात्रा के लिए टिकट खरीदने वाले करीब 15.5 लाख यात्रियों को 597.54 करोड़ रुपये वापस करने की याचिका पर फैसला दिया है
समाधान पेशेवर का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता रामजी श्रीनिवासन ने कहा कि यह बंद पड़ी एयरलाइन को बहार करने की व्यावसायिक योजना के तहत किया जा रहा है।
विमान और उसके इंजन गो फर्स्ट के व्यवसाय का महत्वपूर्ण घटक हैं और यदि उन्हें हटा दिया गया, तो इसके परिणामस्वरूप कंपनी के रूप में एयरलाइन ‘खत्म’ हो जाएगी
एनसीएलटी ने गो फर्स्ट के मामलों को देखने के लिये अंतरिम समाधान पेशेवर नियुक्त किया है। साथ ही ऋणशोधन प्रक्रिया के तहत उसके निदेशक मंडल को निलंबित कर दिया था। गो फर्स्ट ने तीन मई से उड़ानों का परिचालन बंद कर दिया है।
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