म्यूचुअल फंड उद्योग में कुल 44 कंपनियां काम कर रही हैं। इक्विटी कोषों में निवेश के लिए ये कंपनियां मुख्य रूप से एसआईपी पर निर्भर करती हैं।
स्कीम उन स्टॉकों और सेक्टरों में निवेश करती है जो लोकप्रिय नहीं होते हैं लेकिन लंबी अवधि में बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल बैलेंस्ड एडवांस्ड फंड का एयूएम जनवरी 2013 में 487 करोड़ रुपए था, जो सितंबर 2019 में बढ़कर 27,956 करोड़ रुपए हो गया है।
क्लीयर टैक्स के संस्थापक और सीईओ अर्चित गुप्ता यहां ऐसे पांच कारण बता रहे हैं कि आपको टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड (ईएलएसएस) में निवेश करने पर विचार क्यों करना चाहिए।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल बैलेंस्ड एडवांटेज फंड का औसत नेट इक्विटी एक्सपोजर 47 फीसदी रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि देश में सोने की कीमतों में तेजी की वजह से निवेशक गोल्ड ईटीएफ में और निवेश कर सकते हैं।
Arthlabh.com के आंकड़े बताते हैं कि परिसंपत्तियों के वर्गों के बीच में जब निवेश किया जाता है तो यह सहज निवेश के अनुभवों को लंबी अवधि में सुनिश्चित करता है।
अर्थलाभ डॉटकॉम के आंकड़ों के मुताबिक आईसीआईसीआई म्यूचुअल फंड के बाद रिलायंस निपपोन म्यूचुअल फंड 73.47 फीसदी के साथ दूसरे क्रम पर है
मल्टीकैप के आंकड़े बताते हैं कि अगर किसी ने 10 हजार रुपए मासिक का एसआईपी किया होगा तो वह 15 साल में बढ़कर 55,08,141.63 रुपए हो गया, जबकि कुल निवेश 18 लाख रुपए से कुछ अधिक का रहा है।
यूचुअल फंड हाउस मैनेजर्स का मानना है कि ये फंड जिस तरह से यील्ड टू मैच्योरिटी (वाईटीएम) और रेपो रेट के बीच फैले होते हैं, उससे रेपो रेट घटने के समय एक आकर्षक प्रवेश का अवसर पैदा होता है
इस फंड में निवेशकों को निवेश करते समय दो बातें ध्यान में रखनी चाहिए, जिससे जोखिम कम हो सके। एक तो ऐसी स्कीमों को देखना चाहिए जो ज्यादा प्रतिभूतियों में निवेश करती हों और दूसरा ऐसी स्कीमें जो ज्यादा विविधीकृत हों।
यह फंड ओपेन एंडेड इक्विटी स्कीम है जो एमएनसी थीम का पालन करती है और इसका उद्देश्य भारतीय और वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियां जो भारतीय बाजार में सूचीबद्ध हैं, से लाभ कमाना है।
सोना (Gold) में निवेश इस साल फायदे का सौदा हो सकता है। आप गोल्ड बॉन्ड, गोल्ड ETF, गोल्ड फ्यूचर्स, स्पॉट गोल्ड और ज्वैलरी में निवेश करके पोर्टफोलियो बना सकते हैं।
मल्टीकैप में अगर सबसे बेहतर नाम की बात करें तो आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल मल्टीकैप फंड पहले आता है, जिसका बेहतर प्रदर्शन का रिकॉर्ड है।
लोकसभा चुनाव 2019 में अपनी किस्मत आजमा रहे नेताओं की निवेश के लिए पहली पसंद बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम और टैक्स-फ्री बांड हैं।
जैसे-जैसे कैटेगरी का एयूएम बढ़ता जाएगा, वैसे-वैसे उसका टीईआर कम होता जाएगा। इस तरह से अगर निवेशकों को ज्यादा लाभ चाहिए तो उन्हें बड़ी इक्विटी स्कीमों पर फोकस करना होगा।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल भारत कंजम्प्शन फंड, जो कि एक ओपन एंडेड इक्विटी स्कीम है और खपत थीम का पालन कर रहा है।
आंकड़े बताते हैं कि इस फंड ने 3 साल में 11.53 प्रतिशत का रिटर्न दिया है, जबकि निफ्टी हाइब्रिड कंपोजिट डेट ने 9.13 प्रतिशत का रिटर्न दिया है।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया(एंफी) के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2018 में म्यूचुअल फंडों ने कुल 679 एनएफओ लॉन्च किए थे और इससे उन्होंने 1.24 लाख करोड़ रुपए जुटाये।
दिसंबर अंत तक एचडीएफसी एमएफ के प्रबंधन के तहत 3.35 लाख करोड़ रुपए की परिसंपत्तियां थीं।
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