इस फंड में निवेश के जरिए, निवेशक कैपिटल गुड्स, केमिकल्स, रियल एस्टेट और टेक्सटाइल जैसे सेक्टर में एक्सपोजर हासिल कर सकते हैं, जिनका निफ्टी 50 इंडेक्स में या तो बहुत कम प्रतिनिधित्व है या वे इंडेक्स में मौजूद ही नहीं हैं।
AMFI के चीफ एग्जीक्यूटिव वेंकट चलसानी ने कहा कि एसआईपी के जरिए निवेश में हो रही बढ़ोतरी इस बात का संकेत है कि निवेशक अब अनुशासित ढंग से निवेश कर वेल्थ क्रिएशन को तवज्जो दे रहे हैं।
सितंबर में म्यूचुअल फंड निवेशकों ने कुल 71,114 करोड़ रुपये निकाले। जबकि म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने अगस्त महीने में 1.08 लाख करोड़ रुपये का विड्रॉल दर्ज किया था।
कई म्यूचुअल फंड स्कीम्स ऐसी भी हैं जिन्होंने लंबी अवधि में बहुत फीका रिटर्न दिया है। अगर आपको म्यूचुअल फंड स्कीम्स के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो बेहतर होगा कि आप अपने वित्तीय सलाहकर से किसी अच्छे फंड के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें।
25 साल में एसआईपी से 10 करोड़ रुपये जमा करने के लिए आपको 2 सबसे अहम बातों का ध्यान रखना होगा। पहला ये कि आपको कितना रिटर्न मिल रहा है और दूसरा ये कि आप हर महीने कितने रुपये का निवेश कर रहे हैं।
महिंद्रा मैनूलाइफ स्मॉल कैप फंड ने अपने निवेशकों को एसआईपी के जरिए पिछले एक साल में 51.59 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। महिंद्रा मैनूलाइफ स्मॉल कैप फंड का मौजूदा फंड साइज 5279 करोड़ रुपये के आसपास है।
5000 रुपये की एसआईपी से 5 करोड़ रुपये का फंड तैयार कैसे हो सकता है? इस सवाल का जवाब जानने से पहले आपको ये जानना जरूरी है कि एसआईपी का पूरा फायदा तभी मिलेगा जब आप इसमें ज्यादा से ज्यादा समय के लिए निवेश जारी रखेंगे।
म्यूचुअल फंड्स एसआईपी में एक फिक्स डेट पर एक फिक्स अमाउंट जमा किया जाता है। यहां हम जानेंगे कि म्यूचुअल फंड्स एसआईपी से मोटा पैसा बनाने के लिए किन जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।
यहां हम आपको उन 5 म्यूचुअल फंड स्कीम के बारे में बताएंगे, जिसने निवेशकों की एसआईपी के जरिए किए गए निवेश को पिछले 5 साल में ढाई गुना से भी ज्यादा बढ़ा दिया है। खास बात ये है कि इन स्कीम्स में सभी मिड कैप और स्मॉल कैप स्कीम्स हैं और इनमें कोई भी लार्ज कैप स्कीम नहीं है।
म्यूचुअल फंड एसआईपी की मदद से 10,000 रुपये के मासिक निवेश से 6 करोड़ रुपये का फंड तैयार किया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए आपको स्टेप-अप फॉर्मूला का इस्तेमाल करना होगा।
ELSS का पूरा नाम Equity-Linked Savings Scheme है। ईएलएसएस के नाम से ही मालूम चल जाता है कि ये एक इक्विटी लिंक्ड बचत स्कीम है। ईएलएसएस म्यूचुअल फंड्स में किए जाने वाले निवेश पर जो रिटर्न मिलता है, उस पर इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट का लाभ उठाया जा सकता है।
म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि इसमें मिलने वाला रिटर्न लगातार ऊपर-नीचे होता रहता है। ऐसे में म्यूचुअल फंड में इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि आपको अगले साल भी पिछले साल जैसा ही रिटर्न मिलेगा।
अगर आप 25 साल में 5 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं तो म्यूचुअल फंड एसआईपी से ये संभव हो सकता है। मान लीजिए अगर आपको हर साल 12 प्रतिशत का औसतन सालाना रिटर्न मिल रहा है तो आपको हर महीने 27,000 रुपये की एसआईपी करनी होगी।
31 अगस्त, 2024 तक इस स्कीम का एयूएम 3983.77 करोड़ रुपये था। इसका सीधा मतलब ये हुआ कि निवेशकों ने इस फंड में कुल 3983.77 करोड़ रुपये निवेश कर रखे हैं। इस स्कीम का मौजूदा एनएवी 62.40 रुपये है। ये स्कीम Very High Risk के तहत आती है।
म्यूचुअल फंड एसआईपी में निवेश करते समय इस बात का खास ध्यान रखें कि इसमें शेयर बाजार का जोखिम शामिल है। बाजार में आने वाले उतार-चढ़ाव का सीधा असर आपके रिटर्न पर देखने को मिलता है। इसके साथ ही एसआईपी से होने वाले प्रॉफिट पर आपको कैपिटल गेन्स टैक्स भी चुकाना होता है।
म्यूचुअल फंड एसआईपी में निवेश करते समय आपको इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि म्यूचुअल फंड पर मिलने वाला रिटर्न कैपिटल गेन्स टैक्स के दायरे में आता है। यानी आपको म्यूचुअल फंड से जो रिटर्न मिलेगा, उस पर आपको कैपिटल गेन्स टैक्स का भुगतान भी करना होगा।
फोकस्ड फंड, म्यूचुअल फंड की वो कैटेगरी है जो एक निश्चित कंपनी के शेयरों में पैसा लगाती है। सेबी के नियमों के मुताबिक फोकस्ड फंड अधिकतम 30 कंपनियों के शेयरों में ही पैसा लगाते हैं।
अगर फंड मैनेजर स्मॉल-कैप या मिड-कैप स्टॉक में भारी निवेश करने का फैसला करता है, तो जोखिम ज़्यादा हो सकता है। हालांकि, बाज़ार की अनिश्चितता के समय में, प्रबंधक अस्थिरता को कम करने के लिए लार्ज-कैप स्टॉक में निवेश बढ़ाने का विकल्प चुन सकता है।
अगर आप 5000 रुपये से एसआईपी शुरू करते हैं और हर साल अपनी एसआईपी में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी यानी स्टेप-अप करते हैं तो लक्ष्य को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
म्यूचुअल फंड हाउस, ईएलएसएस फंड्स में किए जाने वाले निवेश का 80 प्रतिशत हिस्सा इक्विटी में निवेश करते हैं। ईएलएसएस फंड्स में लगाया जाने वाला पैसा अलग-अलग सेक्टरों से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में निवेश किया जाता है, ताकि जोखिम को कम किया जा सके।
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