म्यूचुअल फंड के जोखिम के पीछे कई फैक्टर होते हैं। इनमें अर्थव्यवस्था में बदलाव, ब्याज दरें, भू-राजनीतिक स्थिति, कंपनी प्रबंधन आदि, सभी म्यूचुअल फंड के जोखिम में योगदान करते हैं।
म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन काफी हद तक फंड मैनेजर द्वारा लिए गए फैसलों पर निर्भर करता है। जब कोई फंड मैनेजर लंबे समय तक फंड को मैनेज करता है, तो वह फंड हाउस की निवेश शैली से अच्छी तरह वाकिफ होता है।
नियमित रूप से अगर आप एसआईपी को बढ़ाते हैं तो अनुशासित बचत की आदत डालने में आपको मदद मिलती है। यह आपको खर्च करने की तुलना में बचत को प्राथमिकता देने और अपने निवेश दृष्टिकोण में स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करता है।
नवंबर में, कमजोर वैश्विक संकेतों, चीन के हालिया आर्थिक पैकेज और यूक्रेन-रूस तनाव बढ़ने के कारण भारतीय इक्विटी बाजारों में बड़ी गिरावट रही थी। बाजार गिरने का असर भी सिप पर देखने को मिला है।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के मुताबिक, हाइब्रिड फंड का एयूएम एक साल में 6.02 लाख करोड़ से बढ़कर 8.77 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
Aadhar Card की तरह ही आप अपना सीकेवाईसी कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं। CKYC कार्ड में आपको एक यूनिक 14 नंबर मिलेगा। इसी नंबर का इस्तेमाल कर बैंक या म्यूचुअल फंड हाउस करेंगे।
निप्पॉन इंडिया मल्टी कैप फंड के डायरेक्ट प्लान ने पिछले 5 साल में 26.52 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। इस स्कीम में 5 साल पहले 1 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश किया जाता तो आज वो पैसा बढ़कर 3,24,187 रुपये हो जाता।
एसआईपी यानी सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान, म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक बेहद ही शानदार और अनुशासित तरीका है। एसआईपी में एक फिक्स राशि को एक फिक्स तारीख पर हर महीने निवेश किया जाता है।
टाटा स्मॉल कैप फंड के डायरेक्ट प्लान ने पिछले 1 साल में 41.82 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। इस स्कीम में 1 साल पहले 10 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश किया जाता तो आज वो पैसा बढ़कर 14.18 लाख रुपये हो जाता।
वित्तीय जानकारों का कहना है कि आप अपने म्यूचुअल फंड लाभ का कुछ हिस्सा होम लोन के प्रीपेमेंट के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं, जबकि बाकी को निवेशित रख सकते हैं। इससे आपका लोन बोझ कम हो जाएगा और बाजार की तेजी का लाभ भी मिलेगा।
एक या दो म्यूचुअल फंड स्कीम आपको अमीर बना सकता है। बस जरूरत है कि आप सही स्कीम का चयन कर लंबे समय तक सिप करते रहे। आप आसानी से पैसे वाले बन जाएंगे।
बैलेंस्ड फंड की तरह, बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (BAF) भी हाइब्रिड म्यूचुअल फंड का एक प्रकार है जो इक्विटी और डेट दोनों को फंड आवंटित करता है। हालांकि, इन बैलेंस्ड एडवांटेज फंड की मुख्य विशेषता यह है कि एसेट आवंटन पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
सही इंडेक्स फंड सेलेक्ट करने में कई बार निवेशकों को काफी परेशानी का सामना करन पड़ता है। सही इंडेक्स फंड चुननें के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं।
यह म्यूचुअल फंड स्कीम लॉर्ज, मिड और स्मॉल कैप कंपनियों में निवेश करेगा। इसलिए यह फंड 3-5 साल और उससे ज्यादा अवधि तक निवेश करने वाले लंबी अवधि के इक्विटी निवेशकों के लिए उपयुक्त है।
AMFI के आंकड़ों के मुताबिक, SBI PSU Fund के डायरेक्ट प्लान ने पिछले 1 साल में 49.89 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। जबकि इस म्यूचुअल फंड स्कीम के रेगुलर प्लान ने 48.20 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। हालांकि, इस दौरान पीएसयू फंड बेंचमार्क ने 50.42 प्रतिशत का रिटर्न दिया है।
इस लिस्ट में 5वें स्थान पर मिड कैप फंड्स रहे। 29 में से 21 (72 प्रतिशत) मिड कैप फंड्स ने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन किया। ईएलएसएस फंड्स फिलहाल छठें स्थान पर हैं। 39 में से 28 (72 प्रतिशत) ईएलएसएस फंड्स ने बेंचमार्क की तुलना में अच्छा प्रदर्शन किया है। 7वें स्थान पर लार्ज कैप फंड्स रहे।
केनरा रोबेको स्मॉल कैप फंड ने पिछले 5 साल में 36.07 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। इस स्कीम में 5 साल पहले निवेश किए गए पैसे 4.35 गुना बढ़ चुके हैं।
बैंक ऑफ इंडिया स्मॉल कैप फंड के डायरेक्ट प्लान ने पिछले 5 साल में 39.30 फीसदी का बंपर रिटर्न दिया है। जबकि इस स्कीम के रेगुलर प्लान ने इस दौरान 37.03 फीसदी का रिटर्न दिया है। इस सरकारी म्यूचुअल फंड स्कीम का मौजूदा एयूएम 1598.98 करोड़ रुपये है।
म्यूचुअल फंड और PMS के बीच चयन करते समय, निवेश, जोखिम लेने की क्षमता, पूंजी की उपलब्धता और जैसे कारकों पर विचार जरूर कर लें।
फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान एक तरह से एफडी ही है। एफडी में आपका पैसा बैंकों में जमा होता है, तो यहां फंड हाउस के माध्यम से आपका पैसा डेट इंस्ट्रूमेंट में इन्वेस्ट होता है। फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान्स पर ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव का असर नहीं पड़ता।
लेटेस्ट न्यूज़