मूंगफली की आवक लगभग ढाई लाख बोरी के आसपास पहुंचने तथा नमी वाले माल के कारण कम बिकवाली के बीच मूंगफली तेल-तिलहन पूर्वस्तर पर बने रहे। ठंड के मौसम में कम मांग के कारण सीपीओ और पामोलीन तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
आज सरसों की आवक पहले के 2.60 लाख बोरी से घटकर लगभग दो लाख बोरी रह जाने के बावजूद सरसों की लिवाली कम रहने से इसमें गिरावट दर्ज हुई।
Edible oil prices : सरसों भी एमएसपी से नीचे दाम पर खरीदा जा रहा है और खरीद भाव के हिसाब से सरसों तेल का खुदरा दाम भी 110-112 रुपये लीटर बिकना चाहिए।
Commodity Prices : किसानों को पिछले दो-तीन वर्षों के मुकाबले सोयाबीन का मौजूदा दाम बहुत कम लग रहा है और इस कारण वे सस्ते में बिकवाली करने को राजी नहीं हैं।
Edible oil prices : मार्च के महीने में 11.49 लाख टन खाद्यतेलों का आयात हुआ था और अब अप्रैल में 13-13.50 लाख टन के लगभग खाद्यतेलों का आयात होने की संभावना है।
Edible oil prices : खाद्य तेलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर होना उचित नहीं है। इसके बजाय हमें हर वह उपाय करना होगा, ताकि हम तेल-तिलहन उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बन सकें।
Cheaper Rate Mustard Oil: मुख्यमंत्री ने बयान में कहा कि समाज के सभी वर्गों को राहत देने के लिए यह निर्णय लिया गया है। आइए इस योजना के बारे में पूरी जानकारी लेते हैं।
Mustard Oil Price: एक्सपर्ट का कहना है कि अगर सरकार समय से ये फैसला ले लेती तो भारत के घरेलू बाजार में सरसों, सोयाबीन तेल और कच्चा पामतेल की कीमतों में इतना इजाफा नहीं होता। जनता को भी राहत मिलती।
नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) के लिए नवीनतम निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।
जून 2021 से लाभार्थियों को 2 लीटर सरसों तेल के लिए 250 रुपये की सब्सिडी उनके सीधे बैंक खातों में जमा की जाएगी।
अनुमान के मुताबिक राजस्थान में सबसे अधिक 35 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 15 लाख टन, पंजाब ,हरियाणा में 10.5 लाख टन, मध्य प्रदेश में 10 लाख टन उत्पादन हो सकता है।
फसल वर्ष 2020-21 के लिए दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार इस साल रबी सीजन के दौरान देश में रिकॉर्ड अनाज और दलहन पैदा होने का अनुमान है।
रबी सीजन के दौरान देश में तिलहन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है और साथ में खरीफ सीजन में भी रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान है। लेकिन भारत में जितना तिलहन पैदा होता है उससे खाने के तेल की 30-35 प्रतिशत ही जरूरत पूरी होती है
पिछले साल सरकार ने गेहूं के लिए 1925, चने के लिए 4875, जौ के लिए 1525, सरसों के लिए 4425 और मसूर के लिए 4800 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य (MSP) घोषित किया हुआ था।
पिछले साल सरकार ने गेहूं के लिए 1925, चने के लिए 4875, जौ के लिए 1525, सरसों के लिए 4425 और मसूर के लिए 4800 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य (MSP) घोषित किया हुआ था।
गृह मंत्रालय ने अर्द्धसैनिक बलों की तरफ से राशन खरीद के लिए आईटीबीपी को नोडल एजेंसी बनाया है।
खाने के तेल के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से अब घरेलू खाद्य तेल उद्योग ने अगले पांच साल में देश में सरसों का उत्पादन बढ़ाकर 200 लाख टन करने का लक्ष्य रखा है।
देश के 2 बड़े चना उत्पादक राज्यों में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सरकार ने रिकॉर्डतोड़ चने की खरीद की है। सरकारी एजेंसी नैफेड के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 6 जून तक एजेंसी ने देशभर में कुल मिलाकर 22,58,654 टन चने की खरीद की है। देश में कभी भी चने की इतनी ज्यादा सरकारी खरीद नहीं हुई है
राजस्थान में इसी साल चुनाव होने हैं और चुनावों से पहले राज्य के किसानों को खुश करने के लिए यह कदम उठाया गया है
खाने के तेल की जरूरत का 60-65 फीसदी हिस्सा आयात किया जाता है, ऐसे में इसपर आयात शुल्क बढ़ने से खाने का तेल महंगा होने लगा है
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