मल्टीनेशनल कंपनियों को अपनी ग्लोबल उपस्थिति, मजबूत ब्रांड और रिसर्च एंड डेवलपमेंट क्षमताओं के साथ, अक्सर घरेलू कंपनियों पर कुछ बढ़त का लाभ मिलता है।
पिछले कुछ सालों में भारत से कई मल्टीनेशनल कंपनियों ने अपना कारोबार बंद कर दिया है। इसके पीछे सरकार की ये दो योजनाएं हैं। दोनों का भारतीय बाजार पर क्या असर पड़ा है, आइए जानते हैं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली अगले सप्ताह पेरिस जाएंगे जहां वह आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) के बहुपक्षीय करार पर दस्तखत करेंगे।
बंबई शेयर बाजार में सूचीबद्ध 32 बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने 2015-16 में अपनी मूल वैश्विक कंपनियों को 7,100 करोड़ रुपए की रॉयल्टी भुगतान किया है।
पेप्सी और कोका कोला को बड़ा झटका लग सकता है। तमिलनाडु की दो ट्रेड संगठन ने अपने सदस्यों से इन दोनों कंपनियों के किसी भी सामान को बेचने से मना किया है।
देश में रोजमर्रा के उपयोग के उपभोक्ता सामान (FMCG) बनाने वाली सात प्रमुख घरेलू कंपनियों की आय 2015-16 में विदेशी कंपनियों ने बेहतर रही है।
दुनिया की प्रमुख सॉफ्टड्रिंक कंपनी कोका-कोला ने कहा है कि यदि भारत में सिन टैक्स लागू होता है तो कंपनी भारत में अपने सभी 56 प्लांट्स को बंद कर सकती है।
नेपाल के नए संविधान के खिलाफ सीमा पर प्रमुख व्यापार मार्गों पर नाकेबंदी के चलते देश की प्रमुख मल्टीनेशनल्स कंपनियों को रेवेन्यु में भारी गिरावट आई है।
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