एमएसएमई क्षेत्र की देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसके अलावा निर्यात में उसका 48 प्रतिशत का हिस्सा है
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत ने महामारी की पहली लहर को मजबूती से निपटा और वृद्धि के मजबूत अनुमान के रास्ते पर लौटा।
कोरोना वायरस महामारी की वजह से आर्थिक गतिविधियों में आई अड़चनों के मद्देनजर आईबीसी के कुछ प्रावधानों को स्थगित कर दिया गया था।
वर्तमान में एसएमबी उद्यमी कनेक्टिविटी, प्रोडक्टिविटी और ऑटोमेशन टूल्स पर हर महीने 15 से 20 हजार रुपये खर्च करते हैं।
सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उदयम (एमएसएमई) विभाग के अनुसार, उत्तर प्रदेश में देश के अधिकतम करीब 14 फीसदी एमएसएमई कार्यरत हैं और इस साल 13 लाख एमएसएमई इकाइयों को 42 हजार सात सौ करोड़ रुपये के कर्ज दिए गए हैं।
इस योजना को एमएसएमई को एक लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का टर्म लोन या वर्किंग कैपिटल लोन 8.5 प्रतिशत शुरुआत ब्याज दर पर शीघ्रता से उपलब्ध कराने के लिए शुरू किया गया है।
पिछले सात माह के दौरान केंद्र सरकार की एजेंसियों और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों ने एमएसएमई के 21,000 करोड़ रुपये के बकाया का भुगतान किया है।
सूत्रों ने कहा कि यह नियम कुल 1.2 करोड़ जीएसटी करदाताओं में से सिर्फ 45,000 करदाताओं पर ही लागू होते हैं और ईमानदार डीलरों और व्यवसायों पर इसका कोई असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि नया नियम नकली चालान के इस्तेमाल की जांच के लिए लाया गया है ताकि गलत तरीके से इनपुट लागत पर कर रिफंड न लिया जा सके।
कंपनी ने एक बयान में कहा इसके लिए वह खानपान, दवा, उपभोक्ता उत्पाद, स्वास्थ्य उत्पाद, परिधान, गृहसज्जा, इत्यादि श्रेणी में निर्यात का विस्तार करेगी। कंपनी के मुताबिक इन क्षेत्र में निर्यात को बढ़ावा देने से नए आपूर्तिकर्ताओं के लिए अवसर पैदा होंगे।
एमएसएमई मंत्रालय ने बयान में कहा कि सबसे अधिक 5,100 करोड़ रुपये की खरीद अक्टूबर में हुई और इस दौरान 4,100 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया।
एमएसएमई का देश की जीडीपी में 30 प्रतिशत का योगदान है। कुल निर्यात में से 48 प्रतिशत योगदान एमएसएमई करता है। साथ ही 11 करोड़ रोजगार भी सृजित करता है। सरकार निर्यात में एमएसएमई की हिस्सेदारी बढ़ाकर 60 फीसदी करना चाहती है।
ईसीएलजीएस 2 के तहत जिन इकाइयों के ऊपर 29 फरवरी, 2020 की स्थिति के अनुसार, एक महीने या उससे कम समय के दौरान बकाया 50 करोड़ रुपये से अधिक और 500 करोड़ रुपये तक के कर्ज हैं, वे इसके लिए पात्र होंगी।
कंपनी बिना किसी गारंटी के कोई भी चीज गिरवी रखे बिना, छोटे व्यापारियों और MSMEs को 5 लाख रुपये तक का इंस्टैंट लोन (collateral-free instant loans) बेहद कम इंटरेस्ट रेट पर देगी।
योजना की अवधि को 30 नवंबर तक के लिये अथवा तब तक के लिये बढ़ा दिया गया है जब तक कि योजना के तहत तीन लाख करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी नहीं दे दी जाती है। इसमें जो भी पहले होगा उस समय तक ही योजना लागू रहेगी।
मंजूर किये गये कर्ज में से 21 सितंबर तक 25.74 लाख एमएसएमई इकाइयों को 1,25,425 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गयी। यह योजना लगभग 21 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज का हिस्सा है।
मिट्टी के बर्तन के निर्माण की योजना के लिए करीब 20 करोड़ रुपये और मधुमक्खी पालन के लिए 13 करोड़ रुपये का प्रावधान, काम शुरू करने के इच्छुक लोगों को उपकरणों के साथ साथ ट्रेनिंग भी दी जाएगी
10 सितंबर तक 42,01,576 कर्जदारों को 1,63,226.49 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कर्ज राशि मंजूर की गई है और 10 सितंबर तक 25,01,999 कर्जदारों को 1,18,138.64 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई है।
नई र्स्टाटअप नीति से 50 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इससे एक लाख लोगों को अप्रत्क्ष रूप से रोजगार मिलने की उम्मीद है।
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