सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को अपने एक आदेश में खनिज समृद्ध राज्यों को ये मंजूरी दी कि वे 1 अप्रैल, 2005 की तारीख से खनिज अधिकारों और खनिज-युक्त जमीन पर रॉयल्टी और टैक्स पर बकाया राशि की मांग रख सकते हैं।
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने गुरुवार को कहा कि इक्रा को वित्त वर्ष 2024-25 में सालाना आधार पर 12-15 प्रतिशत (यानी 1.14-1.18 लाख यूनिट) की गिरावट आने की आशंका है।
सितंबर, 2021 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 2.7 प्रतिशत, खनन क्षेत्र का उत्पादन 8.6 प्रतिशत जबकि बिजली क्षेत्र का उत्पादन 0.9 प्रतिशत बढ़ा।
देश में स्वर्ण अयस्क (प्राथमिक) का कुल भंडार 50.183 करोड़ टन अनुमानित किया गया है; इनमें से 1.722 करोड़ टन को रिजर्व कैटेगरी में है।
ये 67 खदानें छह राज्यों - छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश में हैं। सरकार के मुताबिक वाणिज्यिक कोयला खनन से नया निवेश आएगा, रोजगार के बड़े अवसर पैदा होंगे और कोयला उत्पादक राज्यों में सामाजिक, आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
उद्योग संगठन के मुताबिक यदि खनन कानून की धारा 10ए(2)(बी) को हटाया नहीं जाता, तो इन 500 खानों से 50,000 प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। खनन क्षेत्र में प्रत्यक्ष से अप्रत्क्ष रोजगार का अनुपात 1:10 का है। ऐसे में 50,000 प्रत्यक्ष के साथ पांच लाख अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
पिछले 10 चरणों में कुल 35 कोयला खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी की गयी। इसमें से केवल 14 ब्लॉक में परिचालन शुरू हो सका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल जून में वाणिज्यिक खनन के लिये 41 कोयला खदानों के लिये नीलामी प्रक्रिया की शुरूआत की थी।
केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोमवार को कहा कि मिनरल एक्सप्लोरेशन कार्पोरेशन लिमिटेड (MECL) ने कोलार स्वर्ण क्षेत्र (KGF) में खोज का काम शुरू कर दिया है।
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निजी कंपनियों के लिये कोयला क्षेत्र को खोले जाने से तीन लाख से अधिक रोजगार मिलने की उम्मीद
कोयला खदानों की वाणिज्यिक खनन के लिए नीलामी से देश में अगले पांच से सात साल में 33,000 करोड़ रुपए के पूंजीगत निवेश की उम्मीद है।
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सरकार 50 खनिज ब्लॉक की ई-नीलामी से 1.81 लाख करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त करने के बाद अब अगले छह महीने में 100 और खानों की नीलामी करने का विचार कर रही है।
सरकार गैर-कोयला खनिज ब्लॉक की अन्वेषण गतिविधियों में तेजी लाने के लिये निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दे रही है।
विनिर्माण एवं खनन क्षेत्र में नरमी तथा टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद के उत्पादन में गिरावट के चलते अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) की वृद्धि दर गिर कर 2.2 प्रतिशत पर आ गई।
ASSOCHAM ने अपने पेपर में कहा है कि बिजली, दूरसंचार और खनन क्षेत्र अत्यधिक कर्जग्रस्त हैं और बैंक इन क्षेत्रों को उधार नहीं दे पा रहे हैं।
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