मारुति सुजुकी और हुंडई मोटर्स के बाद अब जनरल मोटर्स (जीएम) ने भी दाम बढ़ाने की घोषणा कर दी है। कंपनी भारत में बने अपने वाहनों की कीमत बढ़ाने जा रही है।
नवंबर के दौरान देश में पैसेंजर कार की बिक्री में 10.39 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई। यह लगातार 13वां महीना है जब कार की बिक्री बढ़ी है।
एक जनवरी से कंपनियां कार की कीमतों को बढ़ाने जा रही हैं। इसके बाद मारुति से लेकर बीएमडब्ल्यू तक की कार महंगी हो जाएंगी।
ऐसे में अगर नई कार खरीदने की सोच रहे हैं तो अगले 20 दिनों में फैसला कर लें। मारुति सुजुकी ने भी जनवरी से दाम बढ़ाने की घोषणा कर दी है।
दिसंबर ऐसा महीना है जब ईयर एंड सेल के दौरान अधिकांश ऑटो कंपनियां ग्राहकों को हैवी डिस्काउंट के साथ ही साथ कई अन्य आकर्षक ऑफर्स पेश करती हैं।
देश की सबस बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी नई माइक्रो एसयूवी लाने जा रही है। कंपनी इसे अगले साल होने वाले ऑटो एक्सपो में पेश करेगी।
एसयूवी व कॉम्पैक्ट एसयूवी का चलन इन दिनों जोरों पर हैं। भारत में इस कार सेगमेंट में ग्राहकों की ओर से खासी डिमांड देखी जा रही है।
नवंबर का महीना कार कंपनियों के लिए भी दिवाली बोनांजा लेकर आया है। पिछले महीने देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने 1.20 लाख कारें बेचीं हैं।
अक्टूबर में टॉप 10 बेस्ट सेलिंग कार ब्रांड्स में मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) की 4 कारों ने अपनी जगह बनाई है। मारुति की ऑल्टो टॉप सेलिंग कार रही है।
car खरीदना चाहते हैं तो हम बता रहे हैं इस साल लॉन्च हुई 5 लाख रुपए से कम की 5 हैचबैक कारें। जिससे आप जान सकें कि कौन सी कार आपके लिए वैल्यू फॉर मनी होगी।
अक्टूबर माह में कारों की बिक्री में 21.80 फीसदी का उछाल आया है। कार बिक्री बढ़ने से ऑटो कंपनियों की दिवाली बेहतर होने की उम्मीद है।
मारुति सुजुकी की एंट्री सेगमेंट कार ऑल्टो भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाला कार बन गई है। 29 लाख कारों की बिक्री के साथ इसने मारुति 800 का रिकॉर्ड तोड़ा है।
मारुति सुजुकी का शुद्ध मुनाफा चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 42 फीसदी बढ़ा है। पिछले साल की समान तिमाही में कंपनी का शुद्ध लाभ 862.54 करोड़ रुपए था।
मारुति सुजुकी ने अपनी पहली प्रीमियम हैचबैक बलेनो को भारतीय बाजार में लॉन्च कर दिया। इसकी दिल्ली में एक्स-शोरूम कीमत 4.99 लाख से लेकर 8.11 लाख रुपए होगी।
मारुती का सुजुकी को रॉयल्टी भुगतान रेवेन्यू, मार्जिन और रिसर्च एंड डेवलपमेंट खर्च के आधार पर पिछले 15 सालों के दौरान साढ़े छह गुना ज्यादा बढ़ चुका है।
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