मंत्री समूह के साथ 22 जनवरी को किसान यूनियनों के साथ आखिरी दौर की वार्ता में केंद्रीय मंत्री तोमर ने साफ कहा कि नये कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर डेढ़ साल तक रोक लगाने के सरकार के प्रस्ताव पर जब किसान यूनियन सहमत होंगे तभी उनके साथ बातचीत होगी।
कमेटी ने गुरुवार को किसान संघों और कृषक संगठनों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की। इस परिचर्चा में समिति के सदस्यों के साथ कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश के 10 किसान संगठनों ने हिस्सा लिया।
शीर्ष अदालत ने तीनों कानूनों के अमल पर रोक लगाते हुए मसले के समाधान के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। हालांकि कमेटी के एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को कमेटी से अलग कर लिया, जिसके बाद अब कमेटी में तीन सदस्य हैं।
कृषि मंत्री के मुताबिक ये कानून पहले आने चाहिए थे, लेकिन पहले की सरकार दबाव-प्रभाव में आगे नहीं बढ़ पाई। मोदी जी ने साहसपूर्वक कदम उठाया और दो नए कानून बनाए एवं एक कानून में संशोधन किया, जिन्हें संसद के दोनों सदनों ने मंजूरी दी।
पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के नाती और अखिल भारतीय किसान संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष संजय नाथ सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने तोमर से मुलाकात कर नए कृषि कानूनों का समर्थन किया।
किसानों से जुड़े एक संगठन के राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को कृषिभवन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र सौंपे। इस पत्र में 3 लाख से ज्यादा किसानों के हस्ताक्षर हैं।
कृषि कानून के विरोध में बड़ी संख्या में किसान पिछले कई दिनों से राजधानी की सीमाओं पर जमे हुए हैं। सरकार कानूनों में संशोधन पर बातचीत के लिए तैयार है, हालांकि किसान संगठन कानूनों को पूरी तरह से वापस लेने पर अड़े हैं। इसी वजह से आंदोलन लगातार जारी है।
केंद्र सरकार ने हाल ही में तीन कानून लागू किए थे जिसमें कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020, और आवश्यक वस्तु (संशोधन कानून) 2020 शामिल हैं।
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