चालू खरीफ सीजन में अब तक 692 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक 3 जुलाई तक देशभर में कुल 432.97 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की खेती दर्ज की गई है जबकि पिछले साल इस दौरान सिर्फ 230.03 लाख हेक्टेयर में खेती हो पायी थी।
सरकार ने मई में मछुआरों और पशुपालन उद्योग से जुड़े कृषक समेत 2.5 करोड़ किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये 2 लाख करोड़ रुपए का रियायती कर्ज देने की घोषणा की थी।
कृषि लागत और मूल्य आयोग ने फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाने के लिए जो सिफारिश की थी उसे सोमवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिली है और धान, कपास, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, तुअर, उड़द, मूंग, ज्वार, बाजरा और रागी का समर्थन मूल्य बढ़ा दिया है
अक्टूबर और नवंबर बेमौसम बारिश के लंबे दौर के कारण दलहनों की उपज में उल्लेखनीय कमी आने वाली है।
नेशनल बल्क हैंडलिंग कॉरपोरेशन (एनबीएचसी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस बार 84 प्रतिशत इलाकों में मानसून सामान्य या सामान्य से अधिक रहा है।
फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के चालू खरीफ सत्र में बोई जाने वाली फसलों का रकबा 1,054.13 लाख हेक्टेयर पर अपरिवर्तित बना रहा।
कम बारिश के चलते खरीफ मौसम की सभी फसलों की बुवाई में गिरावट आयी है। कृषि मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अब तक खरीफ के मौसम में धान का रकबा 223.5 लाख हेक्टेयर और दलहन का रकबा 105.14 लाख हेक्टेयर रहा है।
देशभर में खरीफ फसलों की बुवाई चालू सीजन में पिछले साल से तकरीबन 9 फीसदी पिछड़ी हुई है।
मानसून की प्रगति में शिथिलता के कारण देश में खरीफ फसलों की बुवाई की रफ्तार भी धीमी है।
फसल वर्ष 2019-20 के लिए तुअर, मूंग और उड़द दालों के न्यूनतम समर्थन मूल्य भी क्रमश: 215 रुपए, 75 रुपए और 100 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाए गए हैं।
मजबूत वैश्विक रुख के बीच स्थानीय आभूषण कारोबारियों के लिवाली बढ़ाने से दिल्ली सर्राफा बाजार में आज सोना 210 रुपए उछलकर 31,570 रुपए प्रति दस ग्राम पर पहुंच गया। हालांकि, चांदी पर अभी भी दबाव बना हुआ है और यह फिसलकर 40,000 रुपए के स्तर से नीचे आ गयी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए फसलों के समर्थन मूल्य में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। बुधवार को भी सरकार ने खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी का ऐलान किया है और 2 महीने पहले ही मोदी सरकार को सत्ता में आए हुए 4 साल हुए हैं, ऐसे में नजर डालते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य में कितनी बढ़ोतरी हुई है
केंद्र सरकार ने बजट में किसानों की फसलों के लिए उनकी लागत से डेढ़ गुना ज्यादा समर्थन मूल्य देने की जो घोषणा की थी उसके तहत आज खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य (MSP) का ऐलान हो सकता है। आज होने वाली कैबिनेट की बैठक में सरकार 14 प्रमुख खरीफ फसलों के लिए 2018-19 मार्केटिंक वर्ष का समर्थन मूल्य घोषित कर सकती है। इंडिया टीवी को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सभी 14 खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य में पिछले साल के मुकाबले जोरदार बढ़ोतरी होने की उम्मीद है
मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की कल होने वाली बैठक में खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य को मंजूरी दी जा सकती है। ऐसी संभावना है कि धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 200 रुपए बढ़ाकर 1,750 रुपए प्रति क्विंटल किया जाएगा।
SBI ने यह भी कहा है कि समर्थन मूल्य को उत्पादन लागत से डेढ़ गुना करने पर महंगाई बढ़ने की आशंका ज्यादा नहीं है
खरीफ सीजन में मुख्य तौर पर धान, मक्का, कपास, सोयाबीन, मूंगफली, ज्वार, बाजरा, रागी, तुअर, उड़द और मूंग की खेती होती है। इन सभी फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ सकता है
देश के कुछ भागों में प्याज की खुदरा कीमतें 50 से 60 रुपए प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गई हैं। इस बीच सरकार का कहना है कि ऐसा मांग-आपूर्ति में तात्कालिक अंतर के कारण है
देश में महंगाई के फिर से बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है क्योंकि खाद्यान्न उत्पादन चालू खरीफ सत्र में 35 लाख टन घटकर 13.5 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
प्याज की कीमतें आज महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में दो गुना से ज्यादा बढ़कर 26 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई हैं। यह एशिया की सबसे बड़ी प्याज की थोक मंडी है
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