केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले से जूट मिलों और सहायक यूनिट्स में काम करने वाले चार लाख श्रमिकों को राहत मिलेगी। जूट वर्ष 1 जुलाई से 30 जून तक होता है।
सरकार के इन अनिवार्य नियमों से देश के करीब 8 राज्यों को फायदा मिलता है। जूट उद्योग देश की अर्थव्यवस्था विशेषरूप से पूर्वी क्षेत्र मसलन पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, त्रिपुरा, मेघालय के लिए महत्वपूर्ण है।
पश्चिम बंगाल में जूट आयुक्त कार्यालय ने मंगलवार को जूट मिलों को छोड़कर कच्चे जूट का कोई भी भंडार नहीं रखने का आदेश दिया।
खाद्यान्नों की पैकिंग के लिए पर्यावरण के अनुकूल जूट के बोरे खरीदने के लिए सरकारी खजाने पर 2,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है।
कीमतों में बढ़त के बीच जूट आयुक्त के कार्यालय ने इससे पहले अगस्त में भंडारण की सीमा 1,500 क्विंटल निर्धारित की थी। बाद में छह नवंबर के आदेश में सीमा को घटाकर 500 क्विंटल कर दिया गया। आयुक्त कार्यालय ने छह नवंबर को जारी आदेश में भंडारण करने वालों को 10 दिन में भंडार कम करने के लिये कहा था।
गुरुवार को कपड़ा मंत्रालय की ओर से आयोजित टेक्सटाइल ग्रैंड चैलेंज के विजेताओं को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पुरस्कार वितरित किया। इस दौरान कपड़ा मंत्रालय ने कहा कि इन स्टार्टअप्स के उत्पादों को इंडस्ट्री बढ़ावा दे,जिससे इसका पूरा फायदा मिले।
सरकार के इस फैसले से देशभर में जूट उद्योग से जुड़े करीब 3.7 लाख कामगारों और जूट की खेती करने वाले करीब 60 लाख किसानों को लाभ होगा
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