ऑटो,बैंकिंग, उद्योग-इंजीनियरिंग और तमाम क्षेत्रों में कंपनियां आने वाले दिनों में जॉब कटौती करेगी। कंपनियों ने पहले ही अनाउंस कर दिया है कि कितने कर्मचारियों को नौकरी से हटाया जाएगा।
ग्रांट थॉर्नटन इंडिया के पार्टनर सिद्धार्थ निगम ने कहा कि सकारात्मक दृष्टिकोण महज लाभ की उम्मीदों पर आधारित नहीं है। लगभग 83 प्रतिशत भारतीय मिड-मार्केट कंपनियों को आने वाले वर्ष में राजस्व में वृद्धि की उम्मीद है, क्योंकि देश का विशाल घरेलू बाजार आकर्षक अवसर प्रदान करता है।
नई नियुक्तियों के लिए तैयार टॉप इंडस्ट्रीज में 88 प्रतिशत पर इलेक्ट्रिक वाहन और बुनियादी ढांचा क्षेत्र है। उद्योग का रुख देखा जाए तो मेडिकल और दवा क्षेत्र की 86 प्रतिशत कंपनियां अपने कार्यबल में विस्तार के लिए तैयार हैं।
टीसीएस के सीईओ के. कृतिवासन का यह बयान उस रिपोर्ट के बीच आया है जिसमें कहा गया है कि सॉफ्टवेयर उद्योग अपने प्रमुख बाजारों से मांग कम होने के कारण नियुक्तियों में नरमी बरत रहा है और उनमें से कुछ तो कैंपस में छात्रों को किए गए ऑफर से भी पीछे हट रहे हैं।
जोड़े गए कुल नए सदस्यों में 18-25 आयु वर्ग की हिस्सेदारी 57.18 प्रतिशत है। इससे पता चलता है कि देश के संगठित क्षेत्र के कार्यबल में शामिल होने वाले अधिकांश सदस्य युवा हैं।
टेस्ला पावर इंडिया के भर्ती अभियान में इंजीनियरिंग, परिचालन, बिक्री, विपणन एवं समर्थन कार्यों से जुड़े पद शामिल होंगे। इससे युवाओं के लिए नौकरी के पर्याप्त अवसर उपलब्ध होंगे।
यूनियन का कहना है कि कंपनी के लिए कर्मचारियों को निकालना जारी रखना अस्वीकार्य है जबकि वह हर तिमाही में अरबों कमाती है। हम तब तक लड़ते रहेंगे जब तक हमारी नौकरियां सुरक्षित नहीं हो जातीं!
रिपोर्ट के अनुसार, “नौकरी के कम अवसरों के बावजूद, नौकरियां पैदा होने और नियुक्तियों के बीच असंतुलन कंपनियों के लिए सही प्रतिभा खोजने में चल रही कठिनाइयों को दर्शाता है।” इसमें कहा गया कि 2023 में कुछ क्षेत्रों ने उल्लेखनीय मजबूती और वृद्धि दिखाई और जो चुनौतीपूर्ण माहौल के बीच सफल हो गए।
कंपनियों ने नियुक्तियों के मामले में सीनियर प्रोफेशनल्स को प्राथमिकता देना जारी रखा है। यह ट्रेंड 2023 के अधिकांश समय में देखने को मिला है। 16 वर्ष से अधिक के अनुभव वाले सीनियर प्रोफेशनल्स की भर्ती में 2023 की अक्टूबर-नवंबर की अवधि में सालाना आधार पर 26 फीसदी की जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट में दुनियाभर के 11,080 प्रतिभागियों में भारत से 1,000 प्रतिक्रियाएं आई हैं। ज्यादातर श्रमिक या कर्मचारी सकारात्मक संगठनात्मक संस्कृति को अपनी प्रतिबद्धता के लिए प्राथमिक कारक मानते हैं ।
इंफोसिस (Infosys) और विप्रो (Wipro) जिसने पिछले तीन साल में कुल मिलाकर 2,08,000 इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स को हायर किया था,ने कहा है कि वह इस साल कैम्पस में बिल्कुल भी जाने का कोई इरादा नहीं रखती हैं।
रोल्स-रॉयस के सीईओ एर्गिनबिल्जिक ने कहा कि हम एक ऐसे रोल्स-रॉयस का निर्माण कर रहे हैं जो भविष्य के लिए उपयुक्त है।
कोरोना महामारी के बाद बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए आईटी कंपनियों ने बड़ी संख्या में नई भर्तियां की थी। इससे आईटी सेक्टर में काम करने वालों की मांग तेजी से बढ़ी थी। हालांकि, वर्क फ्रॉम होम समाप्त होने से स्थिति बदली है। आईटी कंपनियों का काम नहीं मिल रहा है। इससे अब वह छंटनी समेत AI का इस्तेमाल भी शामिल है।
त्योहारी सीजन में फ्रेशर्स के लिए सुनहरा मौका निकलने वाला है। त्योहरों के दौरान बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए कंपनियां तेजी से भर्ती कर रही हैं। इसके चलते बेरोजगारी दर एक साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। त्योहारों के दौरान बेरोजगारी दर में और कमी आने की उम्मीद है।
यह रिपोर्ट देश के 14 भौगोलिक क्षेत्रों में 18 उद्योगों की 737 लघु, मझोली और बड़ी कंपनियों के बीच सर्वेक्षण पर आधारित है। इनमें महानगर, पहली और दूसरी श्रेणी के शहर शामिल हैं।
एसबीआई रिसर्च ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO), एनपीएस (NPS) और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) के आंकड़ों की स्टडी पर आधारित यह आंकड़ा जारी किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, 27 प्रतिशत कंपनी मालिक इस त्योहारी सीजन के दौरान कर्मचारियों को बढ़ी हुई कमाई की पेशकश कर रहे हैं।
भारत मोबाइल फोन का दूसरा बड़ा उत्पादक देश बन चुका है। वैष्णव ने कहा कि डिक्सन ने नोएडा में अपना संयंत्र स्थापित भी कर लिया है जहां पर जल्द ही उत्पादन शुरू हो जाएगा।
इंडस्ट्री में डेवऑप्स इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, एसईओ एनालिस्ट और यूएक्स डिजाइनर के पदों के लिए फ्रेशर्स की काफी डिमांड है।
चार में से तीन कामकाजी पेशेवरों का मानना है कि अगर उन्होंने अपना कौशल विकसित नहीं किया तो टेक्नोलॉजी उनकी नौकरियों की जगह ले लेगी।
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