कोविड के बाद राज्य की खस्ताहाल राजकोषीय स्थिति और खाली पड़े खजाने को मजबूत बनाना राज्य की सबसे पहली जरूरत है।
आर्थिक सर्वे पेश करते हुए बताया गया कि राज्य की जीएसडीपी अपने गठन के पहले 5 वर्ष में 8 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर से बढ़ी।
इससे पहले 25 फरवरी को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस के अभिभाषण के साथ ही झारखंड विधानसभा का बजट सत्र शुरू हुआ।
हमें पता करना होगा कि सोरेन सरकार की ऐसी कौन सी बजट घोषणाएं थीं जो सिर्फ वादा बनकर ही रह गईं।
उम्मीद की जा रही है कि इस बार सरकार उन्हें राहत देगी और बजट से राज्य के विकास को पंख लगेगा।
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