इस योजना के तहत देशभर में अभी तक 53.13 करोड़ लोगों के बैंक खाते खोले जा चुके हैं, जिनमें 2,31,236 करोड़ रुपये जमा हैं। खास बात ये है कि इन 53.13 करोड़ खातों में से 66.6 प्रतिशत यानी करीब 35.37 करोड़ से ज्यादा खाते सिर्फ ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं।
2014 में जब नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो सबसे पहले यह फैसला लिया गया कि कैसे सामान्य से सामान्य लोगों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा जाए। सरकार इसके लिए आगे आई और प्रधानमंत्री जन-धन योजना की शुरुआत की। जिसके जरिए गरीब से गरीब लोगों का बैंक खाता जीरो बैलेंस पर खुल पाया।
प्रधानमंत्री जन धन अकाउंट किसी भी बैंक शाखा या व्यवसाय प्रतिनिधि (बैंक मित्र) आउटलेट में खोला जा सकता है। यह अकाउंट एक जीरो बैलेंस अकाउंट होता है। यानी हर महीने औसत मिनिमम बैलेंस बनाए रखने की अनिवार्यता नहीं होती है।
पीएमजेडीवाई को 28 अगस्त, 2014 को वित्तीय समावेश के लक्ष्य के साथ शुरू किया गया था। इस योजना ने ने बैंकिंग सेवाओं से वंचित नागरिकों के सशक्तिकरण में बड़ी भूमिका निभाई है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि जनधन योजना के जरिए आए बदलाव और डिजिटल परिवर्तन ने देश में वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इंक्लूजन) में क्रांति ला दी है।
Jan Dhan Account: गांव से लेकर शहर तक हर व्यक्ति का अकाउंट खोलने के लिए पीएम मोदी ने जनधन योजना की शुरआत की थी। आज यह एक नया रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कर चुका है।
अध्ययन में पाया गया है कि बिजली, बैंक खाता, मोबाइल और शौचालय के संदर्भ में लाभ सभी समुदाय के लोगों को मिला। इसमें कहा गया है, ‘‘वास्तव में, कुछ मामलों में अल्पसंख्यक समुदाय को बहुसंख्यक समुदाय से ज्यादा लाभ मिला।
मोदी सरकार ने समाज के निचले तबके को बैंकिंग सेवा से जोड़ने के लिए जन धन खाते खोलने की शुरुआत की थी।
डेबिट लेनदेन का मतलब किसी भी निकासी लेनदेन से है, जिसमें नकदी निकासी, यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई), तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस), नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (एनईएफटी), रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस), प्री-ऑथोराइज्ड स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन, चेक आदि शामिल हैं।
जेएएम जो बैंक खातों को आधार और मोबाइल नंबर के साथ जोड़ती है, ने भी सामाजिक क्षेत्र के कार्यक्रमों को लक्षित बनाने और लोगों के सही वर्ग तक मदद पहुंचाने में मदद की है।
गौरतलब है कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री जनधन योजना को 2014 में शुरू किया गया था।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक कुल 43.04 करोड़ खातों में से 36.86 करोड़ यानी 85.6 प्रतिशत खाते सक्रिय है और इनमें प्रति खाता औसत जमा राशि 3,398 रुपये है।
प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) भारत सरकार की बेहद सफल योजनाओं में से एक है। इस योजना ने करोड़ों लोगों को बैंकिग की सिस्टम से जोड़ा है। मौजूदा समय में सरकार तमाम स्कीम का लाभ सीधे बैंक खाते के जरिए दे रही है।
छह जनवरी 2021 तक जनधन खातों की संख्या 41 करोड़ के पार चली गयी और शून्य बैलेंस वाले खातों की संख्या मार्च 2015 के 58 प्रतिशत से कम होकर 7.5 प्रतिशत पर आ गयी।
जनधन खाता ग्राहकों को कई सुविधाओं के साथ 1 लाख रुपये का एक्सीडेंट इंश्योरेंस भी मिलता है। लेकिन अगर आप अपने ण्काउंट को आधार से लिंक नहीं कराएंगे तो आपको ये बेनिफिट नहीं मिलेगा।
पीएमजेडीवाई खातों में एक अप्रैल, 2020 तक कुल जमा 1.19 लाख करोड़ रुपये थे, जो नौ सितंबर, 2020 तक 8.5 प्रतिशत बढ़कर 1.3 लाख करोड़ रुपये हो गई। सितंबर, 2020 तक 3.01 करोड़ खाते ऐसे थे, जिनमें एक भी पैसा नहीं था।
जनधन खातों में यह सफलता योजना की छठी वर्षगांठ से कुछ दिन पहले ही हासिल हुई है।
जनधन खाताधारक महिलाओं को तीन महीने तक हर माह 500 रुपये की सहायता मिलेगी
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) एसबीआई ने जन-धन खाताधारकों के लिए पैसे की निकासी से संबंधित शेड्यूल जारी किया है।
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