हाल ही में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री, नितिन गडरकी ने इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम पर लगने वाले जीएसटी को खत्म करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा था।
वह भी क्या दौर था, जब कोई चाह कर भी अपना बीमा नहीं करा सकता था। वक्त बदला और आज बीमा चंद मिनट में कहीं गए बिना हो रहा है।
कई बार ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं जब व्यक्ति के पास प्रीमियम भरने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं होते हैं। लेकिन अगर आप ईपीएफओ के मेंबर हैं और सक्रिय रूप से कॉन्ट्रिब्यूशन करते हैं तो आपको प्रीमियम भरने के लिए टेंशन लेने की जरूरत नहीं है।
इंश्योरेंस सेक्टर के जानकारों का कहना है कि इलाज खर्च में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। वहीं, बीमा कंपनियां पहले से मौजूद बीमारियों के लिए प्रतीक्षा अवधि को इस साल अप्रैल से चार साल से घटाकर तीन साल की है।
यहां एक बात और ध्यान देने वाली है कि सिर्फ लाइफ इंश्योरेंस होना ही जरूरी नहीं है। यहां मायने ये रखता है कि आपका लाइफ इंश्योरेंस कितना कवर देता है। यहां हम ये जानेंगे कि क्या आपके परिवार के लिए 1 करोड़ रुपये का लाइफ इंश्योरेंस काफी है?
जून के दौरान जोड़े गए कुल 21.67 लाख कर्मचारियों में से 10.58 लाख कर्मचारी, जो कुल रजिस्ट्रेशन का लगभग 49 प्रतिशत हैं। डाटा के मुताबिक, जून 2024 में महिला सदस्यों का शुद्ध नामांकन 4. 32 लाख था।
इंश्योरेंस रेगुलेटर आईआरडीएआई की वेबसाइट काफी समय से ओपन नहीं हो पा रही है। यूजर्स लगातार इस परेशानी से जूझ रहे हैं।
सीनियर सिटीजन के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि इंश्योरेंस कंपनियां वरिष्ठ नागरिकों की उम्र और मौजूदा हेल्थ कंडीशन के हिसाब से उनका प्रीमियम तय करती हैं।
केरल के वायनाड में आए भूस्खलन और भारी बारिश की वजह से मरने वालों की संख्या 350 के पार पहुंच चुकी है। वित्त मंत्रालय ने पीड़ितों की मदद के लिए सभी इंश्योरेंस कंपनियों से जल्द से जल्द क्लेम सैटलमेंट के निर्देश दिए हैं।
जीवन बीमा और हेल्थ इंश्योरेंस दोनों के प्रीमियम पर अभी 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है। पत्र में लिखा गया है कि जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी लगाना जीवन की अनिश्चितताओं पर कर लगाने के समान है।
सूत्रों ने बताया कि विधेयक का मसौदा तैयार है और इसे मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल के पास भेजा जाना है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि इसे आगामी सत्र में पेश किया जाएगा।
अगर आपकी कार बाढ़ में डैमेज हो जाए तो अपने इंश्योरेंस कंपनी को उनके कस्टमर हेल्प नंबर पर संपर्क करके या उनकी वेबसाइट पर जाकर डैमेज की जानकारी देनी चाहिए। फिर कंपनी डैमेज का आकलन कर आगे की प्रक्रिया को आगे बढ़ाती हैं।
बीमा कंपनियों को स्पष्ट रूप से यह बताना होगा कि बाजार से जुड़ी बीमा योजनाएं पारंपरिक बंदोबस्ती पॉलिसियों से भिन्न हैं और उनमें जोखिम भी होता है। भाग लेने वाली (बोनस के साथ) बंदोबस्ती पॉलिसियों को पहले ही यह बताना होगा कि मुनाफे में अनुमानित बोनस की गारंटी नहीं है।
ऐसे हादसों के समय में इस पॉलिसी के तहत मिलने वाला कवर इंश्योरंस कंपनी की तरफ से उन घायल या इसके शिकार हुए पैसेंजर्स को उनकी स्थिति के मुताबिक दी जाती है।
जीवन बीमा पॉलिसी के संबंध में सभी विनियमों को एकीकृत करने वाले ‘मास्टर’ सर्कुलर को बुधवार को जारी करते हुए इरडा ने कहा कि ‘फ्री-लुक’ अवधि अब 30 दिन की है। पहले यह अवधि 15 दिन थी।
सर्कुलर में कहा गया है कि दस्तावेजों के अभाव में कोई भी दावा अस्वीकार नहीं किया जाएगा। प्रस्ताव की स्वीकृति के समय जरूरी दस्तावेजों को मांगना चाहिए।
आपको ऐसी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम में निवेश करने की ज़रूरत है जो आपकी जीवनशैली के अनुसार बदलती हो। यह आपकी बदलती वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त लचीला होना चाहिए।
एलआईसी का कहना है कि ऐसी उम्मीद है कि जो भी नई सरकार आएगी, वह समग्र लाइसेंस की अनुमति दे सकती है। कंपनी के चेयपमैन ने कहा है कि हमने कुछ आंतरिक जमीनी कार्य भी किए हैं।
जब आप 30 साल की उम्र में आ जाते हैं तो आपकी फानेंशियल प्लानिंग में लाइफ इंश्योरेंस यानी जीवन बीमा पॉलिसी, हेल्थ इंश्योरेंस सहित कुछ खास इंश्योरेंस पॉलिसी होनी चाहिए।
अगर आप यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी (यूएलआईपी) खरीद रहे हैं तो अलग-अलग शुल्क, फंड ऑप्शन, फंड स्विच करने से जुड़े सवाल जरूर पूछें। जब भी आप बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए फॉर्म भर रहे हों तो इसे पूरी तरह से और सही जानकारियों के साथ भरें।
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