ज्यादातर पॉलिसी में पहले से चली आ रही बीमारियों की कवरेज के लिए कुछ सालों का वेटिंग पीरियड होता है। नियमों के अनुसार पुरानी बीमारियों को ज्यादा से ज्यादा 3 साल के लिए वेटिंग पीरियड में रखा जा सकता है।
सर्कुलर में कहा गया है कि दस्तावेजों के अभाव में कोई भी दावा अस्वीकार नहीं किया जाएगा। प्रस्ताव की स्वीकृति के समय जरूरी दस्तावेजों को मांगना चाहिए।
रुपे डेबिट कार्ड अलग-अलग कवर कवरेज प्रदान करता है। इंश्योरेंस क्लेम, घटना के 90 दिनों के भीतर बीमाकर्ता को करना जरूरी है।
Health Insurance: इंश्योरेंस कंपनी से आप क्या एक साथ दो हेल्थ बीमा पर क्लेम ले सकते हैं। इसको लेकर नियमों के बारे में हम इस आर्टिकल में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
क्लेम रिजेक्ट होने पर आपके पास उपभोक्ता अदालत सहित कई प्लेटफॉर्म हैं जहां आप अपने सभी डॉक्यूमेंट्स के साथ शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय अधिकतर लोग नियम और शर्तें पढ़ना भूल जाते हैं। अगर आप भी अपने परिवार में किसी के लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने वाले हैं तो इसमें सब लिमिट को चेक करना ना भूलें। यहां जानिए हेल्थ इंश्योरेंस में सब लिमिट क्या होता है और इसे चेक करना क्यों है जरूरी।
अगर पॉलिसी होल्डर के पास एक से ज्यादा पॉलिसी हैं तो सभी इंश्योरर पॉलिसी के तहत क्लेम को समान रूप से साझा कर सकते हैं।
पहले से हेल्थ इंश्योरेंस होने के बावजूद भी कुछ बीमारियां ऐसी है जिसके लिए अलग से पैसे देने होते हैं। इस से बचने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस में अलग से क्रिटिकल इलनेस प्लान जोड़ते हैं। इसमें कई तरह की गंभीर बीमारियां कवर हो जाती को क्रिटिक हो। इनमें किडनी और स्ट्रोक की तरह लगभग 50 बीमारी शामिल हैं।
Health Insurance की मांग बीते कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है। इसकी वजह है कि कोई गंभीर बीमारी होने पर हमारी वित्तीय प्लानिंग बिगड़ जाती है। आइए 5 प्वॉइंट में जानते हैं कि यह क्यों जरूरी है?
जॉब इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम आमतौर पर, कुल कवरेज का 3% से 5% तक होता है। अगर जॉब इंश्योरेंस होम लोन के तहत ली गई है तो अवधि पांच साल होगी।
बीमा उद्योग की कंपनियों का कहना है कि बीमा जोखिम से बचाव के लिए खरीदा जाता है चाहे उसके पीछे मानवीय गलती हो या कुछ और हो।
कंपनियों ने मार्च 2021 को समाप्त वित्त वर्ष में प्राकृतिक आपदाओं के कारण किए गए दावों में से केवल एक तिहाई यानी 761 करोड़ रुपये का ही निपटान किया।
आप चाहें जितनी भी सावधानी बरतें, आप कभी न कभी अनचाही दुर्घटना के शिकार हो ही जाते हैं। ऐसी परिस्थिति से आपको बचाता है इंश्योरेंस।
बिना हेलमेट पहने वाहन चलाते समय दुर्घटना होती है तो आपको बीमा क्लेम लेने में काफी दिक्कत आ सकती है। पुलिस एफआईआर (FIR) में ही स्पष्ट उल्लेख करेगी कि दुर्घटना के समय मृतक या घायल ने हेलमेट पहना था या नहीं।
Irdai ने बीमा कंपनियों को निर्देश जारी किया है कि वे 30 दिनों के भीतर क्लेम का निपटान करें नहीं तो बैंकों की तुलना में 2 फीसदी ज्यादा ब्याज देना होगा।
थर्ड पार्टी इंश्योरेंस मोटर वाहन अधिनियम के तहत अनिवार्य है। इसकी आवश्यकता वहां होती है जब अनजाने में सड़क पर आप की वजह से कोई अनहोनी होती है।
मोटर वाहन संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित हो गया। इसके बाद यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना लगेगा और लोगों को उत्पीड़न से बचाया जा सकेगा।
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