आईआरडीएआई के अध्यक्ष डेबिस पांडा ने कहा कि बीमा कंपनियों को निश्चित रूप से कम लागत वाले डिस्ट्रीब्यूशन सॉल्यूशन की जरूरत होती है जैसे कि बैंकों द्वारा ऑफर किया जाता है। इसका असर देश भर में बड़े पैमाने होता है।
नशे में गाड़ी चलाना आपको मुसीबत में डाल सकता है क्योंकि यह न केवल कार बीमा दावे को खारिज करने का कारण है बल्कि एक मुकदमा चलाने योग्य अपराध भी है। चाहे वह शराब हो या प्रतिबंधित/नियंत्रित पदार्थ, गाड़ी चलाते समय इनके सेवन का कोई भी संकेत आपके मोटर बीमा दावे को तुरंत खारिज कर देता है।
क्या आपको पता है कि आप अपने क्रेडिट कार्ड से इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं। अमूमन सभी इंश्योरेंस कंपनियां क्रेडिट कार्ड से प्रीमियम भुगतान का विकल्प उपलब्ध कराती है।
PF and ESIC: ये सुविधाएं सामाजिक सुरक्षा के तहत कर्मचारियों को दी जाती हैं। सरकार कर्मचारियों को बेहतर सुरक्षा देने के लिए इसको बेहतर बना रही है।
पिछले वित्त वर्ष में केंद्र और राज्यों ने हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी लगाकर 8,262.94 करोड़ रुपये का राजस्व इकट्ठा किया था। वहीं स्वास्थ्य पुनर्बीमा प्रीमियम पर जीएसटी के कारण 1,484.36 करोड़ रुपये एकत्र किए गए थे।
साल 1976 में शुरू की गई ईडीएलआई योजना का मकसद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के सदस्यों को बीमा लाभ प्रदान करना है ताकि सदस्य की मृत्यु के मामले में हर सदस्य के परिवार को कुछ वित्तीय सहायता सुनिश्चित की जा सके।
साल 2025 में सॉफ्टवेयर और बिजनेस सर्विस सेक्टर में सैलरी हाइक 9 प्रतिशत ही रहने का अनुमान है जो सामान्य इंडस्ट्री एवरेज 9.5 प्रतिशत से कम है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय कॉरपोरेट जगत 9.5 प्रतिशत की सैलरी हाइक के साथ पूरे सेक्टर में सबसे आगे है।
आप अपने क्रेडिट कार्ड पर कई इंश्योरेंस मामूली प्रीमियम चुकाकर ले सकते हैं। क्रेडिट कार्ड पर इंश्योरेंस मासिक शुल्क पर उपलब्ध होता है।
लाइफ इंश्योरेंस काउंसिल के डाटा के मुताबिक सितंबर 2024 में कुल 32,17,880 नई लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियां जारी की गईं, जबकि पिछले साल सितंबर 2023 में कुल 22,11,680 लाख नई लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियां ही जारी की गई थीं।
इलाज और दवाइयों के बढ़ते खर्च को देखते हुए आज के समय में हेल्थ इंश्योरेंस होना बहुत जरूरी हो गया है। हेल्थ इंश्योरेंस आपको न सिर्फ इलाज और दवाइयों के ऊंचे खर्च से सुरक्षा देता है बल्कि टैक्स बेनिफिट्स भी देता है।
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी जुलाई में इस मुद्दे पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कहा था कि जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी लगाना जीवन की अनिश्चितताओं पर कर लगाने के समान है।
सर्वे के अनुसार, “5 में से 3 लोग (63 प्रतिशत) मानते हैं कि लोन के लिए आवेदनों में अपनी आय को बढ़ा-चढ़ाकर बताना ठीक या सामान्य बात है, जो वैश्विक औसत 39 प्रतिशत से काफी ज्यादा है।”
टियर 1 और टियर 2 शहरों से 20 से 50 साल की उम्र के 800 लोगों पर किए गए सर्वे में सामने आया कि 64% को इस बात का पछतावा था कि उन्होंने टर्म इंश्योरेंस लेने में देरी कर दी।
जब आप अपनी कार में कोई सहायक उपकरण जोड़ते हैं, तो कंपनी को सूचित करना न भूलें अन्यथा आपके दावे खारिज कर दिए जाएंगे क्योंकि ये संशोधित हिस्से उस समय कवर नहीं किए गए थे जब आपने पॉलिसी खरीदी थी।
जीएसटी परिषद सचिवालय द्वारा जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा पर जीओएम के गठन पर जारी कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है, जीओएम को 30 अक्टूबर, 2024 तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है।
बड़ी राशि को बेकार रखने के बजाय, इसे लंबी अवधि के लिए निवेश करने पर विचार करें। समझदारी इसी में है कि टर्म इंश्योरेंस के पैसे से फिजूलखर्ची नहीं करें। अधिक पैसे खर्च करने से लंबे समय में वित्तीय अस्थिरता हो सकती है।
सरकार की कोशिश है कि एक महीने के अंदर 70 साल से ज्यादा उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के लिए इस योजना को शुरू कर दिया जाए। एक हफ्ते में इस पर आर्डर आ जाएगा। सरकार इस योजना के प्रचार-प्रकार के लिए एक कैम्पेन भी लॉन्च करने जा रही है।
ज्यादातर पॉलिसी में पहले से चली आ रही बीमारियों की कवरेज के लिए कुछ सालों का वेटिंग पीरियड होता है। नियमों के अनुसार पुरानी बीमारियों को ज्यादा से ज्यादा 3 साल के लिए वेटिंग पीरियड में रखा जा सकता है।
कई लोग 25 की उम्र में हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं तो कई लोग 30 और 35 की उम्र में हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते हैं। ऐसे में जिन लोगों ने अभी तक हेल्थ इंश्योरेंस नहीं लिया है, उनके मन में एक सवाल उठता रहता है कि हेल्थ इंश्योरेंस लेने का सही समय क्या है?
जीएसटी परिषद ने कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों पर जीएसटी घटाकर 5 प्रतिशत करने का फैसला किया है। अभी तक कैंसर की दवाइयों पर 18 प्रतिशत जीएसटी वसूला जा रहा था।
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