मंत्रालय की मई, 2024 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,817 परियोजनाओं में से 458 की लागत बढ़ गई है, जबकि 831 अन्य परियोजनाएं देरी से चल रही हैं।
अदानी ने कहा कि अगले दशक में हम ऊर्जा परिवर्तन के क्षेत्र में 100 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश करेंगे और अपनी एकीकृत नवीकरणीय ऊर्जा मूल्य सीरीज का और विस्तार करेंगे। गौतम अदानी ने कहा कि बीते 30 वर्षों में हमने काफी कुछ हासिल किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक ऐसी 1,838 परियोजनाओं में 448 की लागत में बढ़ोतरी हुई है और 792 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, इन 1,873 प्रोजेक्ट्स के क्रियान्वयन की मूल लागत 26,87,535.69 करोड़ रुपये थी लेकिन अब इसके बढ़कर 31,88,859.02 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है। इससे पता चलता है कि इन प्रोजेक्ट्स की लागत 18.65 प्रतिशत यानी 5,01,323.33 करोड़ रुपये बढ़ गई है।
कमजोर ग्लोबल डिमांड की चुनौतियों के बीच मजबूत बुनियाद के साथ घरेलू आर्थिक गतिविधियां 2023-24 की पहली छमाही में मजबूत रही हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में पूंजीगत व्यय 37.5 प्रतिशत बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये किया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार देरी वाली 764 परियोजनाओं में औसत विलम्ब 36.27 महीने का है। परियोजनाओं में देरी भूमि अधिग्रहण में विलम्ब, वन और पर्यावरण मंजूरी में देरी समेत अन्य कारणों से हुई है।
कई ऑटोमोबाइल कंपनियों की कहना है कि ग्रीन मोबिलिटी के लिए नीतिगत प्रोत्साहन पर सरकार का मुख्य फोकस बना रहना चाहिए, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
देरी से चल रही 837 परियोजनाओं में से 202 में एक महीने से लेकर एक साल तक की विलंब बै जबकि 188 में 13-24 महीने की देरी है। वहीं 324 परियोजनाएं पांच साल तक की देरी से चल रही हैं जबकि 123 परियोजनाओं में पांच साल से भी अधिक विलंब हो चुका है।
देरी से चल रही 815 परियोजनाओं में से 193 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने, 192 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 293 परियोजनाएं 25 से 60 महीने की और 137 परियोजनाएं 60 महीने से अधिक की देरी से चल रही हैं।
Delhi NCR, मुंबई और बेंगलुरु जैसे प्रमुख शहरों में, भूमि लागत परियोजना लागत के प्रतिशत में से लगभग 50 प्रतिशत से 80-85 प्रतिशत बैठती है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करता है।
इन परियोजनाओं में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख है।
Infrastructure Projects: सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि 150 करोड़ रुपये से अधिक निवेश प्रस्ताव वाली 1,529 परियोजनाओं में से 384 परियोजनाएं अपनी निर्धारित लागत से अधिक हो चुकी हैं।
बुनियादी ढांचा (Infrastructure Projects)क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 386 परियोजनाओं की लागत काफी बढ़ गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘लॉजिस्टिक’ लागत में कमी लाने तथा बुनियादी ढांचा विकास के लिये 13 अक्टूबर को 100 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मास्टर प्लान की शुरुआत की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ‘मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी’ के लिए 100 लाख करोड़ रुपये के गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान की शुरुआत की।
देश भर में बुनियादी ढांचे का तेजी के साथ विकास करने के लिये गति शक्ति योजना की शुरुआत हुई है, इससे लॉजिस्टिक की लागत घटाने और रोजगार के नये अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी।
पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान योजना लगभग 100 लाख करोड़ रुपये से अधिक की योजना है और इसके परिणामस्वरूप लाखों युवाओं के लिए देश में ही नए रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
रिपोर्ट में शामिल 1,718 परियोजनाओं की मूल लागत 21.99 लाख करोड़ रुपये थी, जिसके बढ़कर 26.36 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गतिशक्ति कार्यक्रम की घोषणा की थी। इसका मकसद औद्योगिक उत्पादकता को बढ़ावा देना तथा रोजगार अवसर को बढ़ाना है।
लेटेस्ट न्यूज़