पाकिस्तान में महंगाई चरम पर है। लोगों को खाने के लिए रोटी और उसे बनाने के लिए एलपीजी गैस नहीं मिल पा रही है। वहां सबसे अधिक 5 चीजों को लेकर लोग परेशान हैं। आइए जानते हैं।
Unemployment Hits 50 Year Low in US and Inflation Bent: दुनिया भर में छाई वैश्विक मंदी के बीच अमेरिका से अच्छी खबर आई है। दिसंबर के महीने में अमेरिका में बेरोजगारी दर 50 साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई है।
नौकरी करने वाले कई हजार लोगों के बीच एक सर्वे किया गया है, जिसमें इस बात की जानकारी सामने आई है कि आज के समय में लोग क्या सोचते हैं। इस सर्वे रिपोर्ट में कई खुलासे भी हुए हैं।
आरबीआई ने महंगाई पर शिकंजा कसने के लिये कदम उठाने में देरी की। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने इससे इनकार किया और कहा कि उसने समय रहते पहल की है।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर से शुरू हुए रबी सत्र में पिछले हफ्ते तक गेहूं खेती का रकबा तीन प्रतिशत बढ़कर 286.5 लाख हेक्टेयर हो गया।
नवंबर 2021 में थोक महंगाई यानि WPI 14.87 फीसदी थी थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित मुद्रास्फीति 19 महीने तक दहाई अंकों में रहने के बाद अक्टूबर में घटकर 8.39 फीसदी हो गई थी।
भारत में जो हाल की स्थिति है, उसे देखकर ये नहीं कहा जा सकता है कि देश में मंदी आने वाली है। एक तरफ महंगाई दर कम हो रही है तो वहीं दूसरे तरफ कार की बिक्री में भी बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
पिछले महीने जब अक्टूबर के महंगाई के आंकड़े जारी हुए थे तो उसमें उससे पहले के महीने की तुलना में महंगाई कम देखी गई थी। उसके बावजूद भी आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाया लेकिन अब ये जानकारी सामने आई है कि आगे से रेपो रेट में बढ़ोतरी नहीं होगी।
अमेरिका में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। वहां महंगाई अपने चरम पर है। लोगों के पास पैसे की कमी है। स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि हर तीन में से दो अमेरिकी अपना राशन बिल तक नहीं भर पा रहे हैं। पूरी रिपोर्ट खबर में पढ़ें।
बिहार में महंगाई की दर 5.84 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 6.80 प्रतिशत और मघ्य प्रदेश में 7.49 प्रतिशत दर्ज की गई।
भारत में अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई कम हुई है। मंदी से जूझ रही दुनिया के कई देशों की तुलना में हमारे लिए अच्छी खबर है। भारत में मंदी आने की भी संभावना बेहद कम है। पढ़िए महंगाई दर कम होने का असर आम जनता पर कितना पड़ेगा।
भारत की जनता के लिए आज एक अच्छी खबर आई है। देश में अब महंगाई पिछले 18 महीने के न्यूनतम स्तर पर चली गई है। एक्सपर्ट का कहना है कि इसका फायदा आम जनता को नहीं मिलेगा। आइए जानते हैं कि ऐसा कहने के पीछे का क्या कारण है?
आज खुदरा महंगाई के आंकड़े भी आएंगे। इसमें भी राहत की उम्मीद संभावना जताई जा रही है। गौरतलब है कि खुदरा महंगाई अक्टूबर में 7 फीसदी के पार पहुंच गई है।
सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई जबकि अगस्त में यह सात प्रतिशत पर थी। अक्टूबर महीने के मुद्रास्फीति आंकड़े सोमवार को जारी होंगे।
चुनौतियों का बड़ा कारण कच्चे तेल का आयात है। हम अपनी कुल कच्चे तेल जरूरत का 85 प्रतिशत आयात करते हैं। बाहरी कारणों से मुद्रास्फीति पर दबाव पड़ रहा है। हमें इसको लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।
भारतीय रिजर्व बैंक इस समय चौतरफा मुश्किलों से घिरा है। एक ओर रुपया गिर रहा है वहीं महंगाई बढ़ रही है। आरबीआई हर मोर्चे पर फेल होता दिख रहा है। लेकिन शक्तिकांत दास ने इसका बचाव किया है।
खाद्य मुद्रास्फीति की दर इस साल अगस्त में 6.46 प्रतिशत तथा इससे पिछले वर्ष के इसी महीने में 2.26 प्रतिशत की तुलना में सितंबर, 2022 में 7.76 प्रतिशत रही।
जानकारों का कहना है कि इस बैठक में महंगाई को काबू करने के लिए आरबीआई सख्त फैसले ले सकता है। एक बार ब्याज दरों में और बड़ी बढ़ोतरी की जा सकती है।
खाद्य मुद्रास्फीति एक साल पहले की तुलना में 14.5 प्रतिशत तक बढ़ गई। यह 1980 के बाद की सर्वाधिक खाद्य मुद्रास्फीति है।
खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह लगातार नौंवां महीना रहा जब मुद्रास्फीति आरबीआई के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बना हुआ है।
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