दालों का आयात केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की जांच के घेरे में आ गया है। दाम में तेजी के लिये किसी भी प्रकार की कालाबाजारी तथा साठगांठ पर अंकुश लगाना है।
दालों की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने वायदा बाजारों में चने के नए अनुबंधों पर रोक लगा दी है।
दलहन की कीमत आज 200 रुपए किलो के करीब पहुंच गई। इसको देखते हुए सरकार ने बफर स्टॉक की सीमा पांच गुना बढ़ाकर आठ लाख टन करने का फैसला किया है।
ऑयल मार्केटिंग कंपनियों पेट्रोल और डीजल की कीमतों में एक बार फिर बढ़ोतरी की घोषणा की गई हैं। पेट्रोल 5 पैसे प्रति लीटर और डीजल 1.26 रुपए महंगा हो गया है।
मंडियों में आवक कम होने से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत मध्यप्रदेश में टमाटर के रिटेल दाम 100 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए हैं।
सब्जी और कुछ अन्य फूड आइटम के दाम बढ़ने से रिटेल महंगाई दर मई महीने में बढ़कर 5.76 फीसदी पहुंच गई। यह लगातार दूसरा महीना है जब महंगाई दर बढ़ी है।
शेयर बाजार की दिशा महंगाई दर के आंकड़े, मानसून की चाल और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक सहित प्रमुख वैश्विक घटनाक्रम इस हफ्ते निर्धारित करेंगे।
ट्रकों और बसों का परिचालन करने वाले ट्रांसपोर्टरों की शीर्ष संस्था एआईएमटीसी ने सरकार से ईंधन की बढ़ी हुई कीमतें वापस लेने की मांग की है।
चालू वित्त वर्ष में दलहन और धान के मएसपी में बढ़ोतरी का महंगाई दर और सब्सिडी पर नाममात्र प्रभाव होगा। सीपीआई में 0.4 से 0.45 प्रतिशत तक का योगदान होगा।
सरकार बफर स्टॉक बनाने के लिए अपने लक्ष्य से अधिक किसानों से 20,000 टन प्याज खरीदा है। सरकार प्याज का इस्तेमाल कीमत बढ़ने पर करेगी।
रिटेल महंगाई की दर मई में 5.6 फीसदी के ऊंचे स्तर पर बनी रहेगी, लेकिन खाद्य मुद्रास्फीति में हालिया वृद्धि अस्थायी होगी। रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है।
ब्रोकरेज फर्म नोमुरा फाइनेंशियल एडवाजरी की रिपोर्ट के मुताबिक अगर इस साल देश में मानसून सामान्य रहता है तो भी महंगाई दर मौजूदा स्तर पर बनी रहेगी।
दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला के लोगों की मुश्किलें बढ़ गईं हैं। सरकार ने मक्के के आटे का सरकारी दाम दस गुना कर दिया जो कि उनकी रसोई की एक प्रमुख सामग्री है।
जब बढ़ती महंगाई आपके फाइनेंशियल प्लानिंग के मजबूत किले को ध्वस्त कर दे तो आपको एक बार फिर से नई शुरूआत की जरूरत होती है।
दाल, आलू तके दाम चढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 18 महीने बाद नकारात्मक से सकारात्मक हुई है। अप्रैल में मुद्रास्फीति 0.34 फीसदी पर पहुंच गई।
अप्रैल में थोक अधारित महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) (-)0.85 फीसदी से बढ़कर 0.34 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे पहले रिटेल महंगाई में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
एशियाई बाजारों में कच्चे तेल की कीमतें 2016 के नए उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक आने वाले दिनों में भी तेजी जारी रहेगी।
प्रमुख कंपनियों के तिमाही वित्तीय नतीजे, थोक मूल्य महंगाई के आंकड़े और पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे शेयर बाजार की दिशा को तय करेंगे।
महंगाई आंकड़ों के सरकार की चिंता बढ़ा दी है। अप्रैल में रिटेल महंगाई दर (सीपीआई) बढ़कर 5.39 फीसदी हो गई है। जबकि मार्च में महंगाई दर 4.83 फीसदी थी।
धीमी और क्षमता से कम वृद्धि के चलते महंगाई के नरम बने रहने के आसार हैं ऐसे में CPI वित्त वर्ष के दौरान औसतन पांच प्रतिशत पर बना रहेगा ।
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