देश के कुछेक राज्यों में किसान आंदोलन के बावजूद सब्जियों की कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है और दूध के दाम तो 3 दिन से स्थिर हैं। इस तरह की खबरें आ रही थी कि कई जगहों पर किसानों ने फल और सब्जियां सड़कों पर फैंकी हैं और साथ में दूध भी सड़कों और नालियों में बहा दिया है। लेकिन कीमतों को देखते हुए लग रहा है कि यह घटनाएं कुछ सीमित जगहों पर ही हुई हैं, शायद यही वजह है कि सब्जियों और दूध की कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित (CPI) महंगाई दर में वृद्धि दर्ज की गई है। देश की खुदरा महंगाई (CPI) अप्रैल में बढ़कर 4.58 फीसदी पर रही, जो मार्च में 4.28 फीसदी थी और पिछले साल के अप्रैल में 2.99 फीसदी थी।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी की वजह से देशभर में महंगाई बढ़ने लगी है। वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल के दौरान थोक महंगाई दर (WPI) 4 महीने के ऊपरी स्तर पर दर्ज की गई है।
हालांकि पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ने की वजह से फ्यूल एंड पावर बास्केट की महंगाई दर फरवरी के 3.81 प्रतिशत से बढ़कर 4.70 प्रतिशत हो गई है।
आर्थिक गतिविधियों के मोर्चे पर सुधार का संकेत देते हुए औद्योगिक उत्पादन फरवरी महीने में 7.1 प्रतिशत बढ़ा जबकि थोक मुद्रास्फीति मार्च महीने में 4.28 प्रतिशत पर पांच माह के निचले स्तर पर आ गई। सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।
ईंधन और खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी से फरवरी महीने में थोक महंगाई दर (WPI) सात महीने के न्यूनतम स्तर पर पहंच गई। फरवरी में थोक महंगाई दर 2.48 फीसदी रही।
महंगाई दर और इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के आंकड़े उम्मीद से अच्छे रहे हैं। जनवरी में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन की ग्रोथ 7.5 प्रतिशत दर्ज की गई है जो अनुमान से कहीं ज्यादा है
आर्थिक मोर्चे पर सरकार को आज बड़ी राहत मिली है। फरवरी महीने में महंगाई की दर में गिरावट दर्ज की गई है। वहीं देश में औद्योगिक उत्पादन भी तेजी से बढ़ा है। जो कि देश की अर्थव्यवस्था और विकास दर के लिए अच्छे संकेत हैं।
इस हफ्ते महंगाई दर, औद्योगिक उत्पादन और विदेश व्यापार के आंकड़े जारी होने हैं जो शेयर बाजार की चाल को प्रभावित कर सकते हैं
जनवरी में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 5.07% रह गई थी, जबकि थोक मुद्रास्फीति 2.84% थी जो छह महीने का निचला स्तर था
देश के सेवा क्षेत्र में फरवरी में संकुचन देखने को मिला और यह गिरकर छह महीने के निचले स्तर पर आ गया है। कमजोर मांग स्थितियों के बीच नए ऑर्डर में कमी के चलते यह गिरावट दर्ज की गई।
बुधवार को आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के विवरण में कहा गया कि तेल कीमतों, मकान किराया भत्ते और बजट में राजकोषीय चूक के कारण महंगाई बढ़ने का खतरा बना हुआ है।
थोक मूल्य आधारित (WPI) महंगाई दर के मोर्चे पर राहत की खबर है। जनवरी में सब्जियों की कीमतें बढ़ी रहने के बावजूद थोक महंगाई दर घटकर 6 महीने के सबसे कम स्तर 2.84 फीसदी पर आ गई है।
आम जनता के लिए अच्छी खबर है कि जनवरी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर 5.07 फीसदी रही। वहीं, दिसंबर 2017 में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि (IIP ग्रोथ) 7.1 प्रतिशत रही।
SBI ने यह भी कहा है कि समर्थन मूल्य को उत्पादन लागत से डेढ़ गुना करने पर महंगाई बढ़ने की आशंका ज्यादा नहीं है
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दो दिन की बैठक मंगलवार को मुंबई में शुरू हुई। हालांकि, माना जा रहा है कि गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई वाली समिति नीतिगत दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रखेगी।
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने सोमवार को संकेत दिया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए नीतिगत ब्याज दर में कमी की गुंजाइश शायद कम ही हो क्योंकि वृद्धि दर बढ़ रही है और महंगाई भी बढ़ी है।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 2017-18 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश कर दिया है। जीएसटी लागू होने के बाद पेश हुए पहले सर्वेक्षण में अप्रत्यक्ष करों की वसूली में 50 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
इंडियन ऑयल के आंकड़ों के मुताबिक रविवार को दक्षिण भारत के शहर त्रिवेंद्रम में डीजल का भाव 68.21 रुपए और हैदराबाद में 68.26 रुपए प्रति लीटर दर्ज किया गया
थोक महंगाई दर में कमी आने से भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से मौद्रिक नीति के कठोर होने की आशंका कुछ कम हुई है। यानि होमलोन और कारलोन की दरों में बढ़ोतरी होने की आशंका घट गई है
लेटेस्ट न्यूज़