थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 5.28 प्रतिशत रही, जो पिछले 4 महीने का सबसे ऊंचा स्तर है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक अध्ययन में कहा गया है कि प्याज की कीमतों में इजाफे की आशंका के बावजूद आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति के चार प्रतिशत से नीचे रहने की ही संभावना है।
भारत की खुदरा महंगाई दर सितंबर माह में मामूली बढ़कर 3.77 प्रतिशत पर पहुंच गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इससे पिछले महीने अगस्त में यह 3.69 प्रतिशत थी।
देश में पूंजी प्रवाह को बढ़ावा देने के लिये सरकार की ओर से घोषित पांच-सूत्रीय रणनीति से रुपये की गिरावट के थामने की संभावना नहीं है।
सेंसेक्स 372.68 प्वाइंट की मजबूती के साथ 38090.64 पर बंद हुआ है, दिन के कारोबार में सेंसेक्स ने 38125.62 का ऊपरी स्तर छुआ है
खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त महीने में घटकर 3.69 प्रतिशत पर आ गई है, जो इसका 11 महीने का सबसे निचला स्तर है।
शेयर बाजारों के विशेषज्ञों ने कहा कि औद्योगिक उत्पादन और महंगाई दर समेत आगामी वृहत आर्थिक आंकड़ों से इस सप्ताह बाजार की चाल तय होगी।
जून में चार साल के उच्च स्तर को छूने के बाद जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर में गिरावट आई है और यह 5.09 फीसदी रही।
उपभोक्ताओं के लिए यह अच्छी खबर है। खुदरा महंगाई दर (CPI) जुलाई में 4.17 फीसदी रही। इससे पिछले महीने में यह 4.90 फीसदी थी।
महंगाई दर के आंकड़े और कंपनियों के पहली तिमाही के वित्तीय परिणाम इस सप्ताह शेयर बाजारों की दिशा तय करेंगे।
दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है। यहां महंगाई इस कदर है कि हर 17वें दिन वस्तुओं के दाम दोगुने हो रहे हैं।
देश में पिछले 5 दिन से ट्रक ऑपरेटरों की हड़ताल की वजह से टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि आलू, प्याज और दूध की कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है।
देशभर में ट्रक हड़ताल ही वजह से हो रही परेशानी के बावजूद राहत की बात ये है कि इससे महंगाई नहीं बढ़ी है। बीते 2 दिन के दौरान रोजमर्रा के इस्तेमाल की अधिकतर चीजों के दाम या तो स्थिर हैं या फिर कुछेग जगहों पर बहुत मामूली बढ़ोतरी हुई है। कई जगहों पर तो रोजमर्रा के इस्तेमाल की कुछेक जरूरी चीजो के दाम बढ़ने के बजाय घटे हैं। हड़ताल 20 जुलाई को शुरू हुई थी और आधिकारिक तौर पर अभी खत्म नहीं हुई है।
देश के थोक महंगाई दर (WPI) में जून महीने में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी हुई है। जून में यह चार साल के उच्चतम स्तर 5.77 फीसदी पर रही जबकि मई में यह 4.43 फीसदी थी। अगर हम पिछले वर्ष के समान महीने की बात करें तो यह 0.90 फीसदी थी।
भारतीय अर्थव्यवस्था को दोतरफा झटका लगा है। एक तरफ जहां जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर जून में बढ़कर 5 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई वहीं मई में औद्योगिक उत्पादन (IIP) की ग्रोथ घटकर 3.2 फीसदी रह गई।
नए ऑर्डर के बढ़ने से सेवाओं के कारोबार में इस वर्ष जून में पुन: तेजी लौट आयी और इस क्षेत्र में एक साल की सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई। निक्केई/आईएचएस मार्किट सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जून में 52.6 के स्तर पर पहुंच गया जो जून 2017 के बाद से सबसे ऊंचा स्तर है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) महंगाई दर पर अंकुश लगाने के लिए के प्रमुख नीतिगत दरों में आगे और भी वृद्धि कर है और इसके लिए गुंजाइश भी है। यह मानना है कि वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी एचएसबीसी का जिसने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में यह बात कही है।
वैश्विक ब्रोकरेज कंपनियों मसलन बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच (BofAML), डॉयचे बैंक और यूबीएस के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर में और अभी होने वाली वृद्धि तुलनात्मक आधार के विपरीत प्रभाव की वजह से होगी। यह प्रभाव खत्म हो ही यह यह नीचे आएगी।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स करीब 115 प्वाइंट की बढ़त के साथ 35558 पर कारोबार कर रहा है जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 33.90 प्वाइंट की तेजी के साथ 10801.55 पर ट्रेड हो रहा है
भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई बढ़ने की चिंता के बीच आज मुख्य नीतिगत दर रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर इसे 6.25 प्रतिशत कर दिया है, जिससे बैंक कर्ज महंगा हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले कुछ महीनों के दौरान कच्चे तेल के दाम बढ़ने से महंगाई को लेकर चिंता बढ़ी है।
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