जुलाई में मुद्रास्फीति कम होकर 5.59 प्रतिशत रह गई, और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को उम्मीद है कि यह 2021-22 में 5.7 प्रतिशत रहेगी।
थोक खाद्य महंगाई दर 4.46 प्रतिशत पर रही है जो कि एक महीने पहले 6.66 प्रतिशत पर थी। पिछले साल के मुकाबले धान, गेहूं, सब्जियां, फलों की थोक कीमतों में गिरावट देखने को मिली है।
जुलाई महीने में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 3.96 प्रतिशत रही जो इससे पिछले माह में 5.15 प्रतिशत थी। वहीं जून के दौरान मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग और बिजली उत्पादन में बढ़त देखने को मिली है।
वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रह्मण्यम ने बृहस्पतिवार को कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में ही छह प्रतिशत के नीचे आ जाएगी पर कुछ महीने तक पांच प्रतिशत से ऊपर बनी रहेगी।
विश्वबैंक के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत की थोक कीमत आधारित मुद्रस्फीति 30 साल के उच्चतम स्तर पर है
प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने वादा किया है कि वह औसत प्रति घंटा वेतन कम से कम 1000 येन करना चाहते हैं और इसे लक्ष्य को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए ही यह प्रस्ताव सामने आया है।
औद्योगिक मजदूरों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाने पीने की कुछ वस्तुओं और पेट्रोलियम उत्पादों में आई बढ़त का असर देखने को मिला है।
खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर मई में 5.01 प्रतिशत रही। सबसे ज्यादा तेजी तेल, फल दलहन की कीमतों में देखने को मिली है।
मासिक डब्ल्यूपीआई पर आधारित मुद्रास्फीति की वार्षिक दर मई 2021 (मई, 2020 के मुकाबले) में बढ़कर 12.94 प्रतिशत हो गई, जो मई 2020 में ऋणात्मक 3.37 प्रतिशत थी।
अमेरिका में मुद्रास्फीति मई महीने में पिछले साल के मुकाबले 5 प्रतिशत बढ़ गयी है।
मार्च में खाद्य पदार्थों की महंगाई दर 3.24 प्रतिशत रही और इस दौरान दालों, फलों तथा धान की कीमतों में कमी हुई।
कृषि मजदूरों के लिए महंगाई दर बढ़कर 2.67 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो कि जनवरी के महीने में 2.17 प्रतिशत पर थी। वहीं ग्रामीण मजदूरों के लिए खुदरा महंगाई दर बढ़कर 2.76 प्रतिशत हो गई है , जो कि इससे पिछले महीने में 2.35 प्रतिशत पर थी।
प्राइमरी आर्टिकल, फ्यूल और पावर, मैन्य़ूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स और खाद्य पदार्थों सभी मुख्य सेग्मेंट में महंगाई दर में बढ़त देखने को मिली है।
पेट्रोल डीजल की कीमत में वृद्घि ने महंगाई में आग लगाने का काम कर दिया है। देश में रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं, चना और सरसों का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है और जल्द ही तमाम रबी फसलों की आवक जोर पकड़ने वाली है।
खुदरा खाद्य महंगाई दर फरवरी के दौरान 3.87 प्रतिशत के स्तर पर रही है जो कि जनवरी में 1.96 प्रतिशत के स्तर पर थी। फरवरी में ग्रामीण क्षेत्रों में दर 2.89 प्रतिशत पर और शहरी इलाकों में खाद्य महंगाई दर 5.63 प्रतिशत पर रही थी।
लगभग तीन-चौथाई लोगों को लगता है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, महंगाई अनियंत्रित हो गई है और कीमतें बढ़ गई हैं। ये खुलासा हुआ है आईएएनएस-सीवोटर के बजट पर एक सर्वे में।
दिसंबर के दौरान कृषि श्रमिकों के लिए खुदरा महंगाई दर घटकर 3.25 प्रतिशत पर आ गई है। वहीं ग्रामीण श्रमिकों के लिए महंगाई दर 3.34 प्रतिशत रह गई। नवंबर में ये महंगाई दर 6 प्रतिशत और 5.86 प्रतिशत था।
दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति भी घटकर 4.59 प्रतिशत पर आ गई है। मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम घटने से खुदरा मुद्रास्फीति नीचे आई है।
खाद्य महंगाई दर दिसंबर 2020 में घटकर 3.41 प्रतिशत रह गयी जो एक महीने पहले 9.5 प्रतिशत थी। भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर पर गौर करता है।
खाने-पीने की वस्तुओं की थोक कीमत नवंबर में 3.94 प्रतिशत बढ़ी, जबकि इससे पिछले महीने यह आंकड़ा 6.37 प्रतिशत था।
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