ऐसी आशंका है कि ये आंकड़े निराशाजनक हो सकते हैं और इससे मुद्रा की तेजी पर अंकुश लग सकता है।
फ्यूचर कारोबार में ब्रेंट क्रूड 0.51 प्रतिशत गिरकर 63.92 डॉलर प्रति बैरल रहा।
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल भारत की विदेशी प्राप्ति दुनिया में सबसे अधिक 79 अरब डॉलर रही, जबकि चीन की 67 अरब डॉलर अपने देश में भेजे।
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय 'सुस्ती' के चंगुल में फंसी है और इसमें बेचैनी और अस्वस्थता के गहरे संकेत दिखाई दे रहे हैं।
सेंसेक्स की शीर्ष 10 में से पांच कंपनियों का बाजार पूंजीकरण पिछले सप्ताह 56,877.12 करोड़ रुपए बढ़ गया। इस दौरान टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) सबसे अधिक लाभ रही।
आर्थिक आंकड़ों में गिरावट के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने घरेलू पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल बन गए।
अमेरिका में भारतीय राजदूत हर्षवर्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को कहा कि भारत आर्थिक क्षेत्र में प्रगति पर है देश के लिए 21वीं सदी की एक वैश्विक महाशक्ति बनने की परिस्थितियां अनुकूल हैं।
मंगलवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय बाजार में 1131.12 करोड़ रुपए के शेयरों की बिकवाली की।
अमेरिका और चीन की व्यापार वार्ता के उलझने से निवेशकों में घबराहट का माहौल रहा, इसके कारण एशियाई बाजारों में गिरावट रही।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नीतिगत दरों में कटौती के बाद घटी ब्याज दरें और कॉरपोरेट कर में कटौती से अगले साल देश की अर्थव्यवस्था में सुधार शुरू होगा।
नए साल के पहले आम उपभोक्ताओं को पर एक और महंगाई का झटका लगा है। रसोई गैस सिलेंडर के दाम बढ़ गए हैं।
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के.वी. सुब्रमण्यम ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने निवेश बढ़ाने के लिए कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की है।
मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने गुरुवार को कहा कि कमजोर आर्थिक वृद्धि, सुस्त पड़ती कमाई से वर्ष 2020 में वित्तीय क्षेत्र को छोड़ दूसरे क्षेत्रों की ज्यादातर भारतीय कंपनियों की साख परिस्थितियां कमजोरी बनी रहेगी।
विदेशी निवेशकों का भारतीय पूंजी बाजार की तरफ रुझान जारी है।
समस्या गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से शुरू हुई और धीरे-धीरे खुदरा कंपनियों, वाहन कंपनियों, मकान बिक्री और भारी उद्योग इससे प्रभावित हुई।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने नवंबर महीने में भारतीय बाजारों में अबतक 17,722 करोड़ रुपए की पूंजी लगायी है।
अगले हफ्ते दूसरी तिमाही के जीडीपी नतीजों पर सबकी नजर रहेगी और अनुमान के मुताबिक कमजोर आंकड़े आने से डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो सकता है।
भारतीय पूंजी बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी नोट्स) के जरिये अक्टूबर में निवेश मामूली बढ़कर 76,773 करोड़ रुपए पर पहुंच गया।
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन के मुताबिक अर्थवव्यस्था की स्थिति ठीक नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा विकास दर से 2025 में 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सवाल ही नहीं है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक ने पिछले वित्त वर्ष के अपने फंसे कर्ज के बदलने की जानकारी दी है जिससे वर्ष 2018-19 में उनका शुद्ध घाटा और बढ़ गया।
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