इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 84.07 पर खुला। कारोबार के दौरान ये 84.06 के उच्चस्तर और 84.12 के निचले स्तर के बीच कारोबार के बाद आखिर में चार पैसे की गिरावट के साथ 84.11 प्रति डॉलर (अस्थायी) के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ।
आज घरेलू शेयर बाजार में तेजी और डॉलर के कमजोर होने से रुपये को मिले समर्थन को पश्चिम एशिया में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच विदेशी फंड्स की निकासी ने बेअसर कर दिया।
अमेरिका की खराब जॉब रिपोर्ट से शुरू हुआ गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है और इसका पूरी दुनिया पर व्यापक असर देखने को मिल रहा है। सबसे पहले इसका असर शेयर बाजारों पर दिखा और अब करेंसी भी इसकी चपेट में आ गई है।
ब्रेंट क्रूड की कीमतें (Crude Oil Price) इस साल 100 डॉलर के लेवल को पार कर सकती हैं। आगे रुपये की चाल पूरी तरह तेल की कीमतों पर निर्भर करेगा।
कभी कभी हमारे पास ऐसे नोट सामने आ जाते हैं, जिन पर पेन, पेंसिल से चित्रकारी या लिखावट की गयी होती है। दूसरी ओर अगर आप इससे जुड़े नियमों के बारें में नहीं जानते तो उन्हें जानने की जरूरत है, क्योंकि करेंसी में लिखावट से कई चीजें जुड़ी हुई हैं।
भारतीय रुपये के लिए साल 2022 बेहद खराब रहा है। अमेरिकी डॉलर ने 7 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है। आइए जानते हैं कि साल 2023 में रुपये की चाल कैसी रहने वाली है?
पाउंड 1980 के दशक की शुरुआत में देखे गए स्तरों पर कारोबार कर रहा है। हालांकि, इस दौरान अन्य मुद्राएं भी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुई हैं।
RBI ने भारत में अधिकृत बैंकों को Indian Rupee में व्यापार की सुविधा के लिए किसी भी भागीदार व्यापारिक देश के संबंधित बैंकों के विशेष रुपया वोस्ट्रो खाते खोलने की अनुमति दे दी है।
कच्चे तेल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों तक का आयात, विदेशी शिक्षा और विदेश यात्रा महंगी होने के साथ ही महंगाई की स्थिति और खराब होने की आशंका है।
Indian Foreign Reserve: भारत का विदेश मुद्रा भंडार एक बार फिर बढ़ गया है। इसके पीछे की वजह विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार में पैसा इंवेस्ट करना है।
Coins of the Indian rupee: 1, 2, 5 10, और 20 रुपए के सिक्कों से हमारा वास्ता रोज पड़ता है। लेकिन, इन सिक्कों पर लिखी हर बात और उन पर बना हर एक चिन्ह का एक मतलब होता है, जिससे ज्यादातर लोग अंजान होते हैं।
विदेशी निवेशकों ने बाजार से लगभग 4 बिलियन डॉलर की पूंजी निकाल ली है, जिससे कि रुपये की कीमत में इस तिमाही में 2.2% गिर गई है।
विदेशी बाजारों में डॉलर के मजबूत होने तथा कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच निवेशकों की कारोबारी धारणा प्रभावित होने से रुपये की विनिमय दर में गिरावट आई।
कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में इजाफे के कारण भारत की पेट्रोलियम कंपनियां भी ईंधनों के दाम लगातार बढ़ा रही हैं।
सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी आई क्योंकि संकटग्रस्त एवरग्रांड ग्रुप की चिंताओं की वजह से चीन का युआन कमजोर पड़ा है।
भारी विदेशी धन निवेश के साथ आर्थिक गतिविधियों के बढ़ने के बाद रुपया एशियाई मुद्राओं में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गया।
वैश्विक मानक माने जाने वाला ब्रेंट कच्चा तेल का वायदा भाव 1.32 प्रतिशत बढ़कर 72.01 डॉलर प्रति बैरल हो गया।
छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.06 प्रतिशत बढ़कर 91.33 पर आ गया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में घरेलू इकाई अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 74.80 पर खुली और फिर आगे गिरकर 74.87 पर पहुंच गई।
रुपया सोमवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 75.05 पर बंद हुआ था। मुद्रा बाजार बुधवार को बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर जयंती और मंगलवार को गुड़ी पड़वा पर बंद था।
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