वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ा है। इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था अब भी व्यापक संभावनाओं के साथ तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी हुई है।
आईएमएफ के बाद अब विश्व बैंक ने रविवार को चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत का ग्रोथ रेट अनुमान घटा दिया है। विश्व बैंक के मुताबिक, भारत की विकास दर 6 फीसदी रह सकती है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पहले से ही मंदी की चपेट में है। इसी बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विश्व व्यापार में और भी गिरावट की आशंका व्यक्त की है।
अर्थव्यवस्था की सुस्सी दूर करने के लिए मोदी सरकार लगातार बड़े कदम उठा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा के नतीजों की घोषणा आज सुबह 11.45 बजे करेगा।
सऊदी अरब भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं को देखते हुए देश में पेट्रो रसायन, बुनियादी संरचना और खनन समेत अन्य क्षेत्रों में 100 अरब डॉलर निवेश करने की संभावनाएं देख रहा है।
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को कहा कि सरकार सही समय आने पर आयकर छूट सीमा बढ़ाने के बारे में निर्णय लेगी। पिछले सप्ताह सरकार ने कॉरपोरेट कर की दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया था।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि कॉरपोरेट कर की दर घटाने के बाद राजकोषीय घाटा लक्ष्य में संशोधन या खर्च में किसी प्रकार की कटौती करने की सरकार की कोई योजना नहीं है।
क्रिसिल रिसर्च ने कहा है कि सरकार के कॉरपोरेट कर में कटौती के फैसले से शीर्ष 1,000 सूचीबद्ध कंपनियों को 37,000 करोड़ रुपए की कर बचत होगी। क्रिसिल रिसर्च ने बयान में कहा, 'पिछले कुछ दिन में भारतीय अर्थव्यवस्था की सुस्ती को दूर करने के लिए कई उपायों की घोषणा की गई है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार का कहना है कि भारत को 2025 तक 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ खासतौर से जमीनी स्तर पर लोगों को सेहतमंद बनाने की आवश्यकता है।
रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने शुक्रवार को कहा कि सरकार का कंपनी कर की दर में कटौती के निर्णय से भारतीय कंपनियों की आय बढ़ेगी और साख के लिहाज से सकारात्मक कदम है।
एपिक रिसर्च के सीईओ मुस्तफा नदीम ने कहा कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती बाजार के लिए बहुत अच्छा कदम है।
टैक्स को लेकर की गई घोषणा से कोल इंडिया, इंफोसिस और विप्रो जैसी कंपनियों को फायदा होगा।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए तीन चरणों में कई उपाय किए हैं।
केंद्रीय संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में गिरावट एक अस्थायी रुख है। उन्होंने कहा कि भविष्य में चीजें सुधरेंगी क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है।
अर्थव्यवस्था में मंदी के बारे में सभी संदेहों को दूर करते हुए केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रविवार को कहा कि यह एक चक्रीय प्रक्रिया है और अर्थव्यवस्था की नींव 'मजबूत' बनी हुई है। मंत्री ने इस बिंदु को साबित करते हुए कहा कि भारत ने 2018 में चीन से ज्यादा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) प्राप्त किया।
जावड़ेकर ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था उत्कृष्ट प्रदर्शन करेगी, जैसा कि उम्मीद और पूर्वानुमान व्यक्त किया जा रहा है।
लेखा महा नियंत्रक (सीजीए) के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई के आखिर में राजकोषीय घाटा यानी व्यय एवं राजस्व का अंतर की यदि पूरे आंकड़े की बात करें तो यह 5,47,605 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
आर्थिक सुस्ती को दूर करने के प्रयासों के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 4 प्रमुख सरकारी बैंकों पीएनबी, केनरा, यूनियन बैंक और इंडियन बैंक में छह अन्य बैंकों के विलय की घोषणा की। 10 बैंकों के मर्जर का फैसला देश के बैंकिंग इतिहास में दूसरा बड़ा फैसला है।
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के मामले में बड़ा कदम उठाते हुए शुक्रवार को ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ विलय की घोषणा की है। इन बैंकों के विलय से पीएनबी देश का दूसरा बड़ा सरकारी बैंक बन जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मिलकर अर्थव्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की। दोनों के बीच यह समीक्षा बैठक ऐसे समय हुई है जबकि सरकार को अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से फैल रही नरमी का सामना करना पड़ रहा है। इससे निवेशकों की सम्पत्ति का क्षरण हो रहा है और बेरोजगारी का संकट बढ़ रहा है।
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