Elizabeth last farewell: राजशाही पर्यटन के चलते ब्रिटेन में आर्थिक संकट के बीच शाही परिवार के प्रशंसकों ने लंदन के पर्यटन को रफ्तार दे दी है।
Narendra Modi: आज के समय में भारत दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था (Fifth Largest Economy) वाला देश है। पिछले 10 सालों में भारत ने 10वें से 5वें स्थान तक का सफर तय किया है।
एक्यूट रेटिंग (Acuite Rating) ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि भारत की दो अंकों की वार्षिक वृद्धि देखने में तो अच्छी लग रही है लेकिन हाल की स्थिति को देखकर ये कहना मुश्किल है कि ये संभव होगी।
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के अनुमान के अनुसार ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए भारत ने दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और अब केवल अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी से पीछे है।
Indian Economy: कोरोना (Corona) काल में पटरी से उतरती दिख रही भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) ने बहुत बड़ा कमबैक किया है। देश के विकास दर में भी लगातार वृद्धि देखी जा रही है।
यूरोप में यूक्रेन और रूस के बीच लंबे खिंचते युद्ध ने भी कच्चे तेल को स्थाई रूप से 100 डॉलर के पार पहुंचा दिया है। महंगे क्रूड के आयात के कारण इसी सप्ताह भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 6 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि अनुमान को 10.5 प्रतिशत से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया है, जबकि आईएमएफ ने 2021 में 9.5 प्रतिशत और इसके अगले साल 8.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है।
भारत चालू वित्त वर्ष में 9.5 फीसदी और अगले वित्त वर्ष में 8.5 फीसदी की वृद्धिदर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
सकल कंपनी कर संग्रह 3.58 लाख करोड़ रुपये तथा व्यक्तिगत आयकर संग्रह 2.86 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। चालू वित्त वर्ष में अब तक 75,111 करोड़ रुपये करदाताओं को रिफंड किया गया।
कोविड-19 की विनाशकारी दूसरी लहर के बावजूद विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में सुधार और पिछले साल के बहुत कमजोर आधार प्रभाव के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था में अप्रैल-जून तिमाही के दौरान रिकॉर्ड 20.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
पेटीएम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विजय शेखर शर्मा ने शनिवार को कहा कि देश विकास के रोमांचक चरण में है और भारतीय अर्थव्यवस्था अगले पांच से दस साल में 5,000 अरब डॉलर की हो जाएगी।
मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने शुक्रवार को कहा कि सरकार द्वारा लिए जा रहे आर्थिक सुधारों और कोविड टीकाकरण में तेजी को देखते हुए वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत की वृद्धि दर 6.5 से 7 प्रतिशत के बीच रह सकती है।
कंसल्टेंसी फर्म ईवाई का कहना है कि मौजूदा दौर में भारत की अर्थव्यवस्था के लिए वैश्विक आर्थिक सुधार सकारात्मक है। अपनी आर्थिक पल्स रिपोर्ट में, कंसल्टेंसी फर्म ने कहा, "भारत के निर्यात ने अच्छा प्रदर्शन करना जारी रखा है।
आर्थिक थिंक टैंक एनसीएईआर को उम्मीद है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मौजूदा वित्तीय वर्ष में 8.4-10.1 प्रतिशत की वृद्धि हासिल कर सकती है। पिछले वित्तीय वर्ष में अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत का संकुचन हुआ था।
बैंक कर्ज चार जून, 2021 को समाप्त पखवाड़े में सालाना आधार पर 5.74 प्रतिशत बढ़कर 108.43 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
देश के आर्थिक पुनरुद्धार को समर्थन तथा व्यापार और उद्योग पर कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रभाव को कम करने के लिए सोच-विचार कर सावधानी के साथ उपाय करने की जरूरत है।
एक बार जब टीकाकरण महत्वपूर्ण आबादी तक पहुंच जाएगा, तो अर्थव्यवस्था मांग, वैश्विक सुधार और आसान वित्तीय स्थितियों के चलते अच्छा प्रदर्शन करेगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड महामारी की दूसरी लहर के प्रभाव के बारे में द्रेज ने कहा कि जहां तक कामकाजी लोगों का सवाल है, स्थिति पिछले साल से बहुत अलग नहीं है।
तीन से सात मई के दौरान एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों से कुल मिलाकर 5,936 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है।
गोल्डमैन सैक्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि लॉकडाउन की तीव्रता पिछले साल के मुकाबले कम है। फिर भी, भारत के प्रमुख शहरों में सख्त प्रतिबंधों का असर साफ दिखाई दे रहा है।
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