मॉर्गने स्टैनली के मुताबिक भारत में अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए जो कदम उठाए गए हैं उनसे भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
IMF की चेयरपर्सन क्रिस्टीन लेगार्ड ने बयान दिया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत रास्ते पर चल रही है और लंबी अवधि में इसमें तेजी से मजबूती देखने को मिलेगी
अरुण जेटली ने सरकार के नोटबंदी के फैसले को गोपनीय रखने का बचाव करते हुए कहा कि इसकी घोषणा में यदि पारदर्शिता बरती जाती तो यह धोखाधड़ी की बड़ी वजह बनता।
गुड्स एंड सर्विस टैक्स की वजह से अर्थव्यवस्था पर अबतक जो असर दिखा है वह खराब सा लग रहा है, यह कहना है भारतीय रिजर्व बैंक यानि RBI का
मानसून सीजन यानि पहली जून से लेकर 30 सितंबर तक सबसे कम बरसात रही है उनमें मणिपुर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश सबसे आगे हैं
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने मांग की है कि सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में एक श्वेत पत्र जारी करे और उपायों को बताए।
अगले 10 सालों में भारत की अर्थव्यवस्था 6 खरब डॉलर (करीब 393 खरब रुपए) होने की उम्मीद है, जो कि दुनिया की तीसरे सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी।
पेरिस के इस शोध संस्थान OECD के मुताबिक वृद्धि दर में गिरावट की वजह जीएसटी और नोटबंदी का क्षणिक प्रभाव रहा।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस महीने अभी तक भारतीय बाजारों में वृद्धि की बेहतर संभावनाओं के मद्देनजर चार अरब डॉलर का निवेश किया है।
मॉर्गन स्टेनली के अनुसार लगातार चौथी तिमाही में निर्यात वृद्धि कमजोर हुई है लेकिन आयात में वृद्धि मजबूत बनी हुई है। यह मजबूत घरेलू मांग की ओर इशारा करता है
मार्च में खत्म होने वाले वित्तवर्ष 2017-18 में भारत की GDP ग्रोथ 7.3 फीसदी रह सकती है। इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड ने 7.2 फीसदी की ग्रोथ का अनुमान लगाया है
भारतीय अर्थव्यवस्था में आने वाली तिमाहियों में स्थिति में सुधार होगा जिससे चालू वित्त वर्ष के दौरान GDP ग्रोथ 6.9 फीसदी रहने का अनुमान है।
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर मई में घटकर 5 महीने के निचले स्तर 2.17% पर आ गई। मुख्यतौर पर सब्जियों के दाम घटने से मुद्रास्फीति में यह गिरावट आई है।
देशभर के करीब 150 प्रोफेसर कल IIT दिल्ली में विद्यार्थी बने थे और देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने उन्हें नोटबंदी के विषय में बताया।
नीति आयोग का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था नोटबंदी के प्रभाव से उबर चुकी है और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसमें सुधार दिखाई देगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था उत्पादक वृद्धि के दौर में प्रवेश कर रही है जिसके चलते उसकी GDP ग्रोथ दिसंबर 2017 तक बढ़कर 7.9 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
फिक्की के सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2017-18 में लगभग 7.4 फीसदी रहेगी।
सरकार ने थोक मूल्य सूचकांक (WPI) और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) का आधार वर्ष बदलकर 2011-12 कर दिया है। इनके लिए पहले आधार वर्ष 2004-05 था।
SBI रिसर्च की इकोरैप रिपोर्ट में कहा गया है कि कच्चे तेल की कम कीमतें और अन्य सकारात्मक वृहद बुनियाद से देश की वृद्धि दर बढ़ सकती है।
चीन के एक शोध संस्थान का कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था में तेज बढ़ोतरी दर्ज किए जाने की उम्मीद है और भविष्य में इसके चीन 2.0 बनने की भी संभावनाएं हैं।
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