Fitch Ratings ने मंगलवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी यानी अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में जीडीपी में सुधार देखने को मिलेगा।
पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत की गिरावट के बाद दूसरी तिमाही में यह गिरावट 12 से 15 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4 से 5 प्रतिशत रह सकती है।
कोरोना वायरस की वजह से अप्रैल से जून के दौरान देश में लॉकडाउन लगा हुआ था और लॉकडाउन के दौरान देश में अधिकतर व्यावसायिक गतिविधियां बंद थी ऐसे में इस तिमाही के दौरान अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा है जून में खत्म हुई तिमाही के दौरान अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की तेज गिरावट दर्ज हुई है।
फिच रेटिंग्स ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत के वृद्धि के अनुमान को घटा कर 8 प्रतिशत कर दिया है। एजेंसी ने पिछले माह इसके 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।
पूरे वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी ही, प्रत्येक तिमाही के दौरान भी अर्थव्यवस्था नीचे आएगी।
मंत्रालय ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर के 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2018-19 में 6.1 प्रतिशत थी।
राहुल गांधी के नौकरियों के संकट को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने कहा कि आज वक्त की जरूरत है कि लोगों को सिर्फ सरकारी नौकरी पर निर्भर ना रखा जाए, उनके लिए नए अवसर पैदा किए जाएं।
फिच सॉल्युशन ने सोमवार को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के पूर्वानुमानों में कटौती करते हुए इसे 1.8 प्रतिशत कर दिया।
पूरी दुनिया में फैली कोरोना वायरस महामारी के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर शक्तिकांत दास ने अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए शुक्रवार को कई बड़े ऐलान किए।
वर्ष 2019 में वृद्धि 5 प्रतिशत रहने का आकलन है। मूडीज ने कहा है कि अनुमानित वृद्धि दर के हिसाब से भारत में 2020 में आय में तेज गिरावट हो सकती है।
कोरोना वायरस महामारी के कारण 'लॉकडाउन' के चलते अगले वित्त वर्ष 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर तेजी से घटकर 2.6 प्रतिशत पर आ सकती है।
2020 के लिए 5.3 प्रतिशत वास्तविक जीडीपी वृद्धि अनुमान 2019 के 5.3 प्रतिशत वृद्धि अनुमान के बराबर और 2018 में 7.4 प्रतिशत की हालिस की गई वृद्धि दर से काफी कम है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे से पहले भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छी खबर आई है। भारत दुनिया की पांच बड़ी अर्थव्यवस्था में शामिल हो गया है।
आईजीआईडीआर के प्रोफेसर आर. नागराज का मानना है कि 2024 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य अत्यंत महत्वाकांक्षीय है।
फिच ने अपने बयान में कहा है कि आसान मौद्रिक और राजकोषीय नीति एवं संरचनात्मक उपायों की मदद से वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की वृद्धि दर रिकवर होकर 5.6 प्रतिशत और इसके अगले वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत रहेगी।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी देश की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान सात प्रतिशत से घटाकर 6.1 प्रतिशत किया है। विश्वबैंक ने भी यह अनुमान घटाकर छह प्रतिशत कर दिया है।
मूडीज ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि हमनें भारत के लिए अपने वृद्धि अनुमान में संशोधन किया है और इसे पूर्व अनुमान की तुलना में और कम कर दिया है।
सुस्त अर्थव्यवस्था के चलते भारत के लिए एक और बुरी खबर आयी है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की रेटिंग घटा दी है।
उद्योग मंडल भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के हालिया इकॉनोमिक आउटलुक सर्वे में चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर छह फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। सर्वे के अनुसार, पूरे वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास दर 6.9 फीसदी रह सकती है।
कमजोर वैश्विक अर्थव्यवस्था से एशियाई निर्यात प्रभावित हुआ है। इसके अलावा अनिश्चित वातावरण की वजह से भी निवेश पर असर पड़ा है।
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