भारत के आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने बताया कि भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 की लगातार तीन तिमाहियों में आठ फीसदी से अधिक की ग्रोथ दर्ज की है, जो सुस्त वैश्विक ग्रोथ रुझानों के बीच एक एक्सीलेंट परफॉर्मर के रूप में उसकी स्थिति की पुष्टि करता है।
दूसरे देशों में जहां निवेश घट रहा है, उधर भारत में निवेश विशेष रूप से मजबूत बना हुआ है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढ़ती रुचि से देश को लाभ हो रहा है।
Annual GDP growth : भारत से कम सालाना ग्रोथ रेट में इटली 0.7 फीसदी, ऑस्ट्रेलिया 1.2 फीसदी, फ्रांस 1.3 फीसदी,ब्राजील 1.5 फीसदी, कनाडा 1.6 फीसदी, स्पेन 1.7 फीसदी, साउथ कोरिया 2.2 फीसदी शामिल हैं।
एसएंडपी ने यह भी कहा कि भारत में कैलेंडर ईयर 2024 में ब्याज दरों में 75 आधार अंकों यानी 0.75 प्रतिशत तक की कटौती होने की संभावना है। एजेंसी ने इससे पहले वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की वृद्धि 6.4 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया था।
India GDP: बार्कलेज की ओर से भारत के जीडीपी अनुमान को चालू वित्त वर्ष के लिए बढ़ाकर 7.8 प्रतिशत कर दिया गया है। मौजूदा समय में भारत दुनिया की सबसे तेज अर्थव्यवस्था बनी हुई है।
वित्त मंत्री ने कहा कि साल 1991 में आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया शुरू हुई थी लेकिन उसे 2004 के बाद पूरा नहीं किया गया, आगे नहीं बढ़ाया गया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सुधारों, विशेषकर भविष्योन्मुखी सुधारों पर जोर दिया।
अगले तीन वर्षों में भारत के पांच लाख करोड़ डॉलर के जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने वर्ष 2047 तक ‘विकसित देश’ बनने का एक बड़ा लक्ष्य रखा है।
चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के उम्मीदों से अधिक 7.3% की ग्रोथ रेट से आगे बढ़ने का अनुमान है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के विश्व आर्थिक परिदृश्य के अनुसार, वैश्विक ग्रोथ के 2022 के 3.5 प्रतिशत से घटकर 2023 में तीन प्रतिशत और 2024 में 2.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
भारतीय अर्थव्यवस्था ने न सिर्फ इस साल बल्कि पिछले कुछ सालों में अपने समकक्षों से बेहतर प्रदर्शन किया है। भारत की आर्थिक वृद्धि लगातार छह प्रतिशत से अधिक बनी हुई है। उम्मीद है कि बढ़ोतरी 2024 और 2025 में भी जारी रहेगी।
मार्च तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.1 प्रतिशत रही। जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी। जबकि सितंबर तिमाही में वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रही। वैश्विक ग्रोथ के 2022 में 3.5 प्रतिशत से घटकर 2023 में तीन प्रतिशत और 2024 में 2.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
उपभोग मांग में ग्रोथ बरकरार रहने की उम्मीद है। ऑटो बिक्री, ईंधन खपत और यूपीआई लेनदेन में हाई ग्रोथ के साथ शहरी मांग की स्थिति लचीली बनी हुई है।
देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक और बड़ी खुशखबरी मिली है। तीसरी तिमाही में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 19.8 फीसदी की बंपर उछाल के साथ 6.24 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। यह बताता है कि तीसरी तिमाही में भी इकॉनमी में ग्रोथ मोमेंटम लगातार बना हुआ है। ये आंकड़े शानदार कॉरपोरेट मुनाफे का भी संकेत देते हैं।
भारत इस समय डॉलर के मूल्य में 10.22 प्रतिशत की वार्षिक औसत दर से बढ़ा है। इस दर पर भारत की जीडीपी 2026 में 5,000 अरब अमेरिकी डॉलर और 2027 में 5,500 अमेरिकी अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगी।
भारत दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाला देश बना हुआ है। जीडीपी के आंकड़े पर पीएम मोदी ने कहा कि यह वृद्धि दर के आंकड़े वैश्विक स्तर पर परीक्षा की घड़ी में भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाते हैं।
देश का पैसा सबसे ज्यादा सोना और पेट्रोलियम खरीद में बाहर चला जाता है। दोनों की डिमांड भी देश में जबरदस्त है। सोना और पेट्रोलियम के मामले में भारत को दूुनिया के देशों पर निर्भर रहना पड़ता है।
रिजर्व बैंक का अनुमान है कि मुद्रास्फीति 4.7 प्रतिशत रहेगी। हालांकि, यह 2023 में अनुमानित 5.7 प्रतिशत की मुद्रास्फीति की दर से कम है। प्रमुख उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2024 में 5.1 प्रतिशत रहेगी।
डेलॉयट इंडिया का मानना है कि विकास दर को फेस्टिवल सीजन में खर्च बढ़ने और देश में अगले साल लोकसभा चुनावों के पहले सरकारी खर्च बढ़ने से सपोर्ट मिलेगा। भारत फिलहाल दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है।
आईएमएफ (IMF) ने विकास अनुमान में बढ़ोतरी के लिए अप्रैल-जून के दौरान उम्मीद से ज्यादा मजबूत खपत को कारण बताया। साथ ही महंगाई के मोर्चे पर कहा है कि इस वित्तीय वर्ष में भारत की खुदरा महंगाई 5.5 प्रतिशत रह सकती है।
वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अगले कुछ साल इस वृद्धि दर को आसानी से बनाए रख सकते हैं।'' भारत की जीडीपी वृदि दर 2022-23 में 7.2 फीसदी रही थी, जो 2021-22 के 9.1 फीसदी से कम है। हालांकि, कच्चे तेल में उछाल से भारत का चालू खाता घाटा बढ़ा है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 1
भारत में जहां तक विदेशी पर्यटकों के आगमन (एफटीए) की बात है तो 2021 में 15 लाख से बढ़कर 2024 तक यह 1.5 करोड़ हो गई। 2030 तक इसके 2.5 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
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