अगर आप नई टैक्स व्यवस्था के बजाय पुरानी टैक्स व्यवस्था को चुनना पसंद करते हैं, तो आपको अपना आयकर रिटर्न दाखिल करने से पहले फॉर्म 10IEA जमा करना आवश्यक है।
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। आप आखिरी तारीख का इंतजार न करें, जितनी जल्दी हो इसे फाइल कर लें, ताकि किसी तरह के करेक्शन की स्थिति में आपको मौका मिल सके।
अगर आपका इनकम टैक्स रिफंड न आए तो परेशान न हों। आयकर विभाग ने इसका भी सॉल्यूशन दिया है। आप रीइश्यू के लिए ऑनलाइन रिक्वेस्ट डाल सकते हैं। रिफंड के फेल होने के पीछे गलत बैंक डिटेल (खाता संख्या, एमआईसीआर कोड, आईएफएससी कोड, नाम बेमेल आदि) और अकाउंट होल्डर का केवाईसी पेंडिंग होना भी हो सकता है।
Income tax return filing 2024 : निवासी और साधारण रूप से निवासी व्यक्ति आईटीआर-1 दाखिल कर सकते हैं। सभी स्रोतों से उनकी कुल आय ₹50 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए।
How to register on e filing portal : अगर आपको जितना टैक्स चुकाना चाहिए था, उससे अधिक का भुगतान कर दिया है, तो आईटीआर फाइल करने से आपको टैक्स रिफंड प्राप्त करने की अनुमति मिलती है।
टैक्स की बचत करने के कई ऑप्शन हैं। कुछ निवेश कर तो कुछ साधन ऐसे हैं जिसमें बिना निवेश किए टैक्स बचाने के अवसर देते हैं। आप अपनी सहूलियत और क्षमता के हिसाब से टैक्स बचाने का अपना फैसला कर सकते हैं।
बजट 2024 में न्यू टैक्स रिजीम के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाए जाने की उम्मीद है। सरकार न्यू टैक्स रिजीम के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए इसे बढ़ाने पर विचार कर सकती है।
टैक्स एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर किसी टैक्स पेयर की कुल सालाना आय, इनकम टैक्स की छूट सीमा से अधिक है तो उसके लिए रिटर्न फाइल करना जरूरी है।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जब किसी व्यक्ति की आय 3 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक पांच गुना बढ़ जाती है, तो आयकर की दर छह गुना बढ़ जाती है, जो कि काफी अधिक है।
अगर आप मेडिकल इंश्योरेंस खरीदते हैं, तो आप आयकर अधिनियम की धारा 80D के तहत भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए 25,000 रुपये की कटौती का दावा कर सकते हैं।
अगर आप ओल्ड टैक्स रिजीम चुनने से चूक जाते हैं तो बाई-डिफॉल्ट न्यू टैक्स रिजीम अपना ली जाएगी। हालांकि, न्यू टैक्स रिजीम में HRA, LTA, धारा 80C, 80D, आदि जैसी छूट का लाभ नहीं मिलता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी, आवर्ती जमा यानी आरडी या किसी दूसरे ब्याज अर्जित होने वाले निवेश साधनों से हुई ब्याज आय पर टीडीएस से छूट का रिक्वेस्ट करने पर यह फॉर्म जमा करना होता है।
पारंपरिक उच्च कर दरों के परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण कर उछाल नहीं आया है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारत में 1991 के बाद से सरकारों ने स्पष्ट रूप से मध्यम कर दरों की वकालत की है, जिससे अधिक पारदर्शिता तथा अनुपालन को बढ़ावा मिलता है।
आपको सबसे पहले यह देखना है कि आप किस फॉर्म के लिए एलिजिबल हैं। यानी आपको कौन सा फॉर्म चुनना है। साथ ही ई-फाइलिंग पोर्टल पर रजिस्टर्ड आईडी और एक्टिव पैन कार्ड होना चाहिए ताकि आप अपना टैक्स रिटर्न दाखिल कर सकें।
आयकर नियमों के मुताबिक, अगर स्थायी खाता संख्या (पैन) बायोमेट्रिक आधार से जुड़ा नहीं है, तो लागू दर से दोगुनी दर पर टीडीएस काटा जाना जरूरी है।
वित्त वर्ष के दौरान कई बार टीडीएस या अन्य मदों के चलते आपको रिफंड मिलता है। रिटर्न फाइल करते समय आयकर विभाग इसके लिए आपसे आपकी बैंक डिटेल्स मांगता है।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि ITR-1 ऐसे व्यक्ति द्वारा दाखिल नहीं किया जा सकता है जो भारतीय निवासी नहीं है और जिसकी कुल आय ₹50 लाख से अधिक है।
Income Tax Department : इस नए फीचर से टैक्सपेयर्स को अब हर काम के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
फॉर्म 15एच उन निवासी व्यक्तियों द्वारा जमा किया जा सकता है जो वरिष्ठ नागरिक हैं, जिनकी अनुमानित कर देयता है वित्तीय वर्ष में शून्य है। कोई भी कंपनी या फर्म या गैर-निवासी फॉर्म 15G जमा करने के लिए पात्र नहीं होते हैं।
अधिकांश वेतनभोगी करदाता अब अपना रिटर्न दाखिल नहीं कर पाएंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि टीडीएस भुगतान - नियोक्ताओं द्वारा (वेतन पर स्रोत पर कर कटौती के लिए) और बैंकों (सावधि जमा ब्याज पर टीडीएस के लिए) - 30 अप्रैल तक किया जाएगा।
लेटेस्ट न्यूज़