जवाबों के आकलन के लिए आयकर विभाग की विशेष टीमें बनायी गई हैं
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को ट्वीट कर बताया कि आयकर विभाग ने 20 लाख से अधिक आयकर दाताओं को 62,361 करोड़ रुपए का आयकर रिफंड किया है।
बाजार मूल्य से कम कीमत पर प्रॉपर्टी खरीदने वालों को भी मिली राहत
2020-21 के बजट में नई कर आयकर व्यवस्था का प्रस्ताव किया गया है
इसके अलावा वित्त वर्ष 2018-19 के लिए अगर कोई रिवाइज्ड आयकर रिटर्न दाखिल करना चाहता है तो उसके लिए तारीख अब 31 जुलाई 2020 होगी। बुधवार को आयकर विभाग ने इसको लेकर अधिसूचना जारी कर दी है
2019-20 के टैक्स छूट के लिए निवेश की अंतिम समय सीमा बढ़कर 31 जुलाई 2020 हुई
पहली तिमाही के दौरान अग्रिम कर भुगतान की अंतिम तिथि 15 जून होती है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के शुरुआती दो महीने देश में पूरी तरह से लॉकडाउन लागू था।
गलत जानकारी भरने पर या जानकारी न देने पर पड़ सकता ही पेनल्टी
यह सुविधा उन पैन आवेदकों को उपलब्ध होगी जिनके पास वैध आधार नंबर है और उनका मोबाइल नंबर आधार के साथ जुड़ा है।
विभाग ने साफ कहा कि ऐसे किसी लिंक पर क्लिक न करें जिसमें रिफंड का दावा किया गया हो
2018-19 में एलआईसी की प्रीमियम आय 10.74 लाख करोड़ रुपये रही है
CBDT ने साफ किया कि किसी भी अधिकारी को ऐसी रिपोर्ट बनाने का निर्देश नहीं दिया गया था
विभाग के मुताबिक ये ईमेल उत्पीड़न नहीं है, जवाब देने से रिफंड की प्रक्रिया होगी तेज
नए टैक्स स्लैब में 2.5 लाख तक सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। वहीं 2.5 लाख से 5 लाख तक की सालाना आय पर 5 प्रतिशत टैक्स लगेगा।
आयकर विभाग के मुताबिक वो कुल 18,000 करोड़ रुपये का रिफंड करेगी
कोरोना के कहर का असर ऑटो, टैक्सी और खोमचे वालों के साथ-साथ ट्यूशन टीचर की कमाई पर भी पड़ा है।
PAN-Aadhaar Link Deadline विभाग ने सोशल मीडिया पर दिए पोस्ट में कहा है कि पैन को 31 मार्च से 2020 से पहले आधार से जोड़ना अनिवार्य है।
आयकर विभाग ने सोमवार को कहा कि आधार को पैन से जोड़ना अनिवार्य है और लोगों को इसके लिए निर्धारित 31 मार्च की निर्धारित समयसीमा का पालन करने को कहा है।
चालू वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमान 18.50 लाख करोड़ रुपए की राजस्व प्राप्तियों के आधार पर लगाया गया है, जो बजट में अनुमानित 19.62 लाख करोड़ रुपए से कम है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि दूसरी वैकल्पिक आयकर व्यवस्था को पेश करने का मकसद देश को एक ‘सरल, छूट रहित और कम कर दरों’ वाली व्यवस्था की ओर ले जाना है।
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