रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखने की भारत की रणनीति के चलते वित्त वर्ष 2022-23 के पहले 11 महीनों के दौरान देश के तेल आयात बिल में लगभग 7.9 बिलियन डॉलर की बचत हुई है और देश को अपने चालू खाता घाटे को कम करने में भी मदद मिली है।
पिछले साल जनवरी में भारत ने कच्चे तेल के आयात पर 7.7 अरब डॉलर खर्च किए थे। फरवरी में कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गईं।
पाकिस्तान ने बीते 8 महीने में 33 लाख टन गेहूं का आयात किया है, जिसका बिल 91 करोड़ डॉलर है। खास बात ये ही कि बीते साल की इसी अवधि में गेहूं का कोई आयात नहीं किया गया था। वहीं चीनी के आयात में बीते साल के मुकाबले 6000 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त रही है।
कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी चिंता का कारण है क्योंकि इससे देश का आयात बिल 50 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है। इसका असर चालू खाते के घाटे (कैड) पर पड़ेगा।
मार्च में निर्यात 27.6 फीसदी बढ़कर 29.23 अरब डॉलर पहुंच गया। हालांकि, आयात में भी बढ़ोतरी हुई है। आयात 45.25 फीसदी बढ़कर 39.66 अरब डॉलर पहुंच गया है।
फरवरी में भारत का निर्यात 17.48 फीसदी बढ़कर 24.5 अरब डॉलर पहुंच गया। यह लगातार छठा महीना है जब निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 में भारत का चालू खाता घाटा (कैड) 10 अरब डॉलर बढ़कर 30 अरब डॉलर पहुचने की उम्मीद है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि वह सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी (सीमा शुल्क) खत्म करने की सिफारिश करेंगे, ताकि तस्करी पर रोक लग सके।
सोने का आयात चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसंबर के दौरान करीब 32 प्रतिशत घटकर 17.7 अरब डॉलर रहा। इससे चालू खाते के घाटे पर अंकुश लग सकता है।
वर्ष 2016-17 की अप्रैल से नवंबर की अवधि में सोने का आयात 30.5 प्रतिशत घटकर 15.74 अरब डॉलर का रह गया। इससे देश के चालू खाते के घाटे में कमी आने की उम्मीद है।
लगातार आठ महीने तक गिरावट के बाद सोने का आयात अक्टूबर में दोगुना होकर 3.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया। त्योहारी मांग की वजह से सोने के आयात में बढ़ोतरी हुई।
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