आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में साफ किया कि कोरोना संकट की वजह से इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था में तेज गिरावट दर्ज होगी। अनुमान के मुताबिक साल 2020 में अर्थव्यवस्था 10.2 फीसदी गिर सकती है।
समीक्षावधि में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की प्रमुख वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में कमी आना है।
मुद्राकोष के प्रवक्ता ने देश की राजकोषीय स्थिति को मध्यावधि में मजबूत बनने की विश्वसनीय योजना जल्द घोषित करने को भी महत्वपूर्ण बताया।
इससे पहले 7 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 3.623 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी और यह 538.191 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
तेल, पर्यटन पर निर्भर अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ने की आशंका
पांच जून को समाप्त सप्ताह में पहली बार देश का विदेशी मुद्रा भंडार 500 अरब डॉलर के स्तर से ऊपर गया था।
भारत को श्रम, भूमि आदि के क्षेत्र में और सुधार करने के अलावा अतिरिक्त बुनियादी ढांचा जोड़ने की जरूरत है।
साल के उत्तरार्ध में अगर कोई उचित तरीका नहीं उठाया गया, तो सोशल दूरी को बनाए रखने का समय और लंबा होगा। यह आर्थिक विकास के अनुमान को कम करने के पीछे का कारण है।
2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 6 फीसदी की बढ़त का भी अनुमान
आईएमएफ द्वारा बुधवार को जारी अनुमानों के मुताबिक वैश्विक अर्थव्यवस्था में इस साल 4.9 प्रतिशत की कमी होगी, जबकि अप्रैल में अपनी पिछली रिपोर्ट में उसने तीन प्रतिशत कमी का अनुमान जताया था।
समीक्षाधीन अवधि के दौरान देश का स्वर्ण भंडार 12.7 करोड़ डॉलर की गिरावट के साथ 32.779 अरब डॉलर रह गया।
समीक्षावधि में देश को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिला विशेष आहरण अधिकार 20 लाख डॉलर बढ़कर 1.42 अरब डॉलर हो गया।
6 मार्च को भंडार 487.23 अरब डॉलर के अब तक के सबसे ऊपरी स्तर पर पहुंच गया
आईएमएफ ने कहा कि हालिया महीनों में देश से बाहर रह रहे लोगों द्वारा देश में धन भेजने में बेहद गिरावट आई है।
क्रिस्टालिना जॉजीर्वा ने फंड के वार्षिक स्प्रिंग मीटिंग के एक वर्चुअल एडिशन के माध्यम से कहा, हम "हम असाधारण समय के दौरान मिलते हैं और असाधारण समय असाधारण कार्रवाई की मांग करता है।"
IMF के मुताबिक इस संकट ने देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जरूरत को बल दिया है
कोरोना वायरस के असर औऱ उससे निपटने के उपायों पर सलाह देगा समूह
आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने साल 2008 में आए वैश्विक वित्तीय संकट से बदतर मंदी को लेकर चेतावनी दी है।
IMF के मुताबिक 80 देश मदद के लिए उनके पास पहुंच चुके हैं
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