अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में बीते सप्ताह तेजी लौटी, लेकिन चीन में कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण तेल की मांग नरम रहने से कीमतों में ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं दिख रही है।
अपना मार्केट बचाए रखने के लिए रूस, सऊदी अरब और अमेरिका उत्पादन बढ़ाते हैं तो इससे कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आएगी और भारत में इससे पेट्रोल और डीजल के भाव कम हो सकते हैं
ONGC ने 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में 23 तेल व गैस खोज की और इस दौरान उसने नए भंडारों की खोज के लिए रिकॉर्ड संख्या में कुएं खोदे।
IEA ने कहा कि यदि ओपेक देशों ने कच्चे तेल का उत्पादन कम नहीं किया तो अगले साल के मध्य तक विश्व बाजार में कच्चे तेल की अत्यधिक उपलब्धता की स्थिति बनी रहेगी।
वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की आपूर्ति का आधिक्य इस साल नाटकीय रूप से कम होगा।
तेल की गिरती कीमतों के बीच ग्लोबल ऑयल मार्केट में बड़े बदलाव के आसार नजर आ रहे हैं। सऊदी अरब और अमेरिका के बाद दुनिया की निगाहें अब भारत पर टिकी है।
क्रूड की कीमतों में गिरावट और गहराती जा रही है। बुधवार को क्रूड 2003 के बाद पहली बार 27 डॉलर के नीचे फिसल गया। इस साल कीमत 25 फीसदी से अधिक गिर चुकी है।
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) की चेतावनी से एशियाई बाजार में अमेरिकी क्रूड का भाव 28 डालर प्रति बैरल से नीचे आ गया। यह इसका 12 साल का नया निचला स्तर है।
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