घरों की कीमत में वृद्धि जारी है। आम आदमी की पहुंच से घर की कीमत अब बाहर निकल रहा है। मेट्रो शहरों के अलावा छोटे शहरों में भी घरों की कीमत तेजी से बढ़ी है।
मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में आवास कीमतें 19,111 रुपये प्रति वर्ग फुट से छह प्रतिशत बढ़कर 20,275 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं। पुणे में, आवासीय संपत्तियों की कीमतें अप्रैल-जून, 2024 में 13 प्रतिशत बढ़ीं। यह 9,656 रुपये प्रति वर्ग फुट रहीं।
डेवलपर्स दाम बढ़ाने पर मजबूर हैं क्योंकि वह निर्माण लागत की वृद्धि को स्वयं खपाने की स्थिति में नहीं हैं।
कंपनी ने कहा कि यह दिलचस्प है कि 2013 में सिर्फ हैदराबाद ही किफायती श्रेणी में था लेकिन 2018 में मुंबई को छोड़ अन्य सभी प्रमुख शहर इस श्रेणी में आ गए।
केंद्र सरकार के 20 से 50 हजार वर्ग मीटर की परियोजनाओं से जुड़े हरित नियमों के अनुपालन का अधिकार स्थानीय निकायों को दिए जाने के फैसले से इनकी मंजूरी की प्रक्रिया तेज हो सकेगी।
रियल स्टेट शोध एवं विश्लेषण कंपनी प्रॉपइक्विटी के अनुसार घरों की मांग कम रहने की वजह से डेवलपर्स दाम घटा कर अपने गैर बिके मकानों की बिक्री बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।
एक रिपोर्ट में जहां कोलकाता जैसे मेट्रो शहर में मकानों की कीमत 12 प्रतिशत घटने की बात कही गई हैं, वहीं दूसरी रिपोर्ट में देश के प्रमुख नौ शहरों में पिछले साल घरों की बिक्री में आई गिरावट का उल्लेख किया गया है।
2017 की जनवरी-मार्च की तिमाही में देश के 10 प्रमुख शहरों में घरों के दाम में इससे पिछले साल की समान अवधि की तुलना में औसतन 10.5% का इजाफा हुआ है।
रियल एस्टेट क्षेत्र के शीर्ष निकाय नारेडको ने GST के तहत रियल एस्टेट क्षेत्र पर 12 फीसदी कर लगाने के फैसले का स्वागत किया है।
वित्त वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही में प्रमुख शहरों में घरों के दाम औसतन 8.3 प्रतिशत बढ़े हैं। सबसे अधिक वृद्धि लखनऊ में 19.3 प्रतिशत दर्ज की गई है।
बड़े नोटों को चलन से बाहर करने की वजह से अगले 6 से 12 महीने के भीतर देश के 42 प्रमुख शहरों में मकानों की कीमतों में 30 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है।
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