प्रॉपटाइगर का कहना है कि बिक्री और नए ऑफर दोनों में सालाना आधार पर गिरावट बढ़ती कीमतों के प्रति बाजार की प्रतिक्रिया को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि हम बाजार गतिविधि में एक स्वस्थ मंदी देख रहे हैं, जो एंड यूजर के लिए फायदेमंद है क्योंकि यह स्थायी ग्रोथ लाता है।
कंपनी ने कहा कि ईडब्ल्यूएस के लिए फ्लैट की कीमत सिर्फ 5.35 लाख रुपये होगी जबकि निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिए बने फ्लैट की कीमत 12.58 लाख रुपये से शुरू होगी। ये प्रोजेक्ट गाजियाबाद के सिद्धार्थ विहार में 40 एकड़ में फैली प्रतीक ग्रैंड सिटी टाउनशिप का हिस्सा है।
जुलाई-सितंबर के दौरान दिल्ली-एनसीआर में आवासीय संपत्तियों की बिक्री एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 7 प्रतिशत घटकर 12,976 यूनिट्स रह गई।
प्रॉपइक्विटी ने अनुमान लगाया गया है कि भारत में जुलाई-सितंबर में नौ प्रमुख शहरों में बिक्री 18 प्रतिशत घटकर 1,04,393 यूनिट रह गई। क्रेडाई के पूर्व अध्यक्ष इरफान रजाक ने कहा कि मांग तो है, लेकिन पेशकश नहीं है।
वेव सिटी के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव गुप्ता ने कहा, ‘‘ हम 70 लाख वर्ग फुट एरिया में 8000 से 9000 फ्लैट बनाएंगे। पिछले 12 महीने में टाउनशिप वेव सिटी में प्रीमियम फ्लैट के लिए खरीदारों की मांग तेजी से बढ़ी है।''
इन्वेस्टमेंट फर्म जेफरीज ने कहा कि सरकार की ओर से किए जाने वाले पूंजीगत निवेश में पिछले पांच वर्षों में तीन गुना का इजाफा देखने को मिला है। लेकिन, अब सरकार के सहयोग से निजी सेक्टर भी तेजी से पूंजीगत निवेश बढ़ा रहा है, जिसके कारण आने वाले वर्षों में हाउसिंग सेक्टर में तेज वृद्धि देखने को मिल सकती है।
मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में आवास कीमतें 19,111 रुपये प्रति वर्ग फुट से छह प्रतिशत बढ़कर 20,275 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं। पुणे में, आवासीय संपत्तियों की कीमतें अप्रैल-जून, 2024 में 13 प्रतिशत बढ़ीं। यह 9,656 रुपये प्रति वर्ग फुट रहीं।
बोमन रुस्तम ईरानी ने कहा कि हाउसिंग मार्केट में अभी भी मजबूत डिमांड बनी हुई है। इसलिए कंपनी ने चालू वित्त वर्ष में अपनी सेल्स बुकिंग में 32 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 3,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने इस उम्मीद जताते हुए कहा कि कंपनी इस आंकड़े को पार कर लेगी।
बिल्डरों द्वारा अधिक प्रीमियम फ्लैट लॉन्च किए जाने के चलते अप्रैल-जून की अवधि में सात प्रमुख शहरों में किफायती अपार्टमेंट्स की नई सप्लाई, जिनकी कीमत 50 लाख रुपये से कम है, में 21 प्रतिशत की गिरावट आई है।
तिमाही-दर-तिमाही आंकड़ों के हिसाब से अहमदाबाद में घरों की बिक्री अप्रैल-जून में 26 प्रतिशत घटकर 9,500 यूनिट रह गई। हालांकि दिल्ली-एनसीआर में बिक्री 10 प्रतिशत बढ़कर 10,058 यूनिट से 11,065 यूनिट हो गई।
देश के आठ प्रमुख शहरों में ऑफिस की डिमांड रिकॉर्ड 3.47 करोड़ वर्ग फुट पर पहुंच गई। मजबूत आर्थिक बुनियाद और स्थिर सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों के कारण भारत का रियल एस्टेट बाजार पिछली कुछ तिमाहियों में तेजी से बढ़ा है।
सालाना आधार पर, दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), बेंगलुरु, पुणे, हैदराबाद में बिक्री में बढ़ोतरी देखी गई है, जबकि चेन्नई और कोलकाता में मांग में गिरावट आई।
अगर आपने अब तक निवेश की शुरुआत नहीं की है तो अक्षय तृतीया के शुभ मौके पर आप शुरू कर सकते हैं। यह आपकी आर्थिक सुरक्षा और भविष्य की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में काफी मददगार साबित होंगे।
वित्त वर्ष 2020-21 से पहली कैटेगरी के शहरों में 50-100 प्रतिशत के बीच मूल्य वृद्धि देखी गई है। बड़े घरों की मांग वास्तव में आसमान छू रही है। आवासीय रियल एस्टेट की मांग मजबूत बनी हुई है।
बीते कुछ सालों में रियल एस्टेट सेक्टर में शानदार डिमांड देखी जा रही है। घरों की कीमतें भी बढ़ी हैं। खासकर बड़े घर और लग्जरी फ्लैट्स की डिमांड बीते कुछ समय से तेज देखने को मिल रही है।
घरों की बिक्री में मात्रा और मूल्य, दोनों लिहाज से बढ़ोतरी समग्र अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है। मूल्य के लिहाज से आवास बिक्री इस साल जनवरी-मार्च में 1,10,880 करोड़ रुपये रही।
देश में ऑफिस स्पेस के लिए डिमांड भी जोरदार है। सालाना आधार पर इसमें 43 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है। कार्यालय का किराया एक से नौ प्रतिशत बढ़ा है।
नई यूनिट्स की आपूर्ति बेंगलुरु और मुंबई में बढ़ी, लेकिन दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), चेन्नई, हैदराबाद, पुणे, कोलकाता तथा अहमदाबाद में इसमें गिरावट आई।
शीर्ष सात शहरों में औसत आवासीय संपत्ति की कीमतों में 2024 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 10 से 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
जोशी ने कहा कि हमारे पास अफोर्डेबल हाउसिंग (सस्ते घर) की कमी है। इसके लिए केंद्र सरकार की प्राथमिकता राज्यों और शहरी स्थानीय अधिकारियों के साथ काम करना है ताकि शहरी नियोजन प्रक्रिया के तहत बड़े संख्या में सस्ते घर बनाए जा सके। इसके लिए डेवलपर्स को अपने प्रोजेक्ट में कम से कम से कम 15% या अधिक सस्ते घर बनाने चाहिए।
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