मौजूदा समय में भारत के सिर्फ 5 प्रतिशत बुजुर्गों को संस्थागत देखभाल तक पहुंच है, और आधे से अधिक सामाजिक सुरक्षा के बिना रहते हैं। बुजुर्गों की स्वास्थ्य सेवाओं में भी महत्वपूर्ण अंतर के साथ - प्रति 1,000 बुजुर्गों पर 0.7 अस्पताल के बिस्तर से भी कम है।
अभी कैशलेस क्लेम (नकदी-रहित दावा) प्रक्रिया लंबी है और बीमा कंपनियां इलाज और अन्य मदों के नाम पर कुल बिल से 10 प्रतिशत या उससे अधिक की कटौती करती हैं।
आमतौर पर हम सब हेल्थ इंश्योरेंस लेने के बारे में सोचते हैं, लेकिन इससे जुड़ी बातों न जानने पर हम इसे लेने पर हाथ खींच लेते हैं। इसके साथ ही प्रतिस्पर्धा के इस युग में सही हेल्थ इंश्योरेंस का चुनाव करना भी जरूरी है, जिससे आगे आप परेशानी में न आये।
जो लोग पुराने समय से हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले चुके हैं उन्हें समय रहते इसे स्विच करने की जरूरत है। लेकिन हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को स्विच करते समय पोर्ट और माइग्रेशन को नहीं करें नजरअंदाज। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को कब और क्यों करें स्विच। यहां जानिए इन दोनों के फायदे और नुकसान।
मेडीक्लेम पॉलिसी हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है, वही अगर हम इसके रिन्युअल के समय कुछ बातों का ध्यान नहीं रखते हैं तो बाद में हमें बड़ा पछतावा होता है। आज हम आपको ऐसी बातें बताने वाले हैं, जिनका ध्यान आपको मेडीक्लेम पॉलिसी का रिन्युअल कराते समय रखना है, जिससे बाद में आपको पछतावा न हो।
सरकार ने ग्राहकों को अपनी पॉलिसी किसी दूसरी कंपनी में पोर्ट करवाने या बदलने की सहूलियत भी दी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सस्ती दवाइयों को जरूरी करने पर जोर देते हुए इसके लिए एक कानून बनाने की बात कही। साथ ही, उन्होंने इसके लिए जल्द एक नया कानून लाने का इरादा भी साफ कर दिया।
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