कंपनियों ने कहा है कि बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए वह अपनी उत्पादक्ष क्षमता में बढ़ोतरी कर रहे हैं
कोविड-19 महामारी की वजह से हैंड सैनिटाइजर और इसकी बोतलों की मांग में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। इसी के चलते बोतल डिस्पेंसर या पंप की मांग कई गुना बढ़कर 50 लाख इकाई प्रतिदिन पर पहुंच गई है।
ईको फ्रेंडली लिक्विड फ्री सेनेटाइजर पर खर्च होने वाली बिजली की लागत एक LED बल्ब पर खर्च होने वाली बिजली से भी कम है। फिलहाल भारतीय रेल और कर्नाटक सरकार ने ये डिवाइस खरीदे हैं।
केंद्र सरकार ने यह माना है कि हैंड सैनीटाइजर्स कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न इमरजेंसी की जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक है और इसकी आसान उपलब्धता सुनिश्चित करना लोगों के हित में है।
फेस माक्स और हैंड सैनिटाइजर को अब आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के दायरे से बाहर कर दिया गया है। उपभोक्ता मामलों की सचिव लीना नंदन ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
13 मार्च को फेस मास्क और सैनिटाइजर को 100 दिन के लिए आवश्यक वस्तु घोषित किया था
वहीं अगर आप अपनी कार से सफर करते हैं तो आपको अपनी गाड़ी में ये कुछ जरूरी चीजें ध्यान से रख लेनी चाहिए।
कंपनी अपना नया उत्पाद संभवत: 1 जुलाई को बाजार में लॉन्च करेगी। कंपनी ने कहा है कि लॉन्च की यह योजना संबंधित विभागों से आवश्यक मंजूरियों पर निर्भर करेगी।
घरेलू मांग पूरी करने के बाद निर्यात को मंजूरी पर विचार संभव
शुरुआत में इसे देश के दक्षिणी एवं पश्चिमी बाजारों में लॉन्च किया जाएगा, जो 500 मिली पैक के आकार में उपलब्ध होगा।
सरकार ने 55 कंपनियों को लाइसेंस दिया है, जिसमें 22 चीनी मिलें, नौ (शराब कारखाने) डिस्टलरीज, 22 सैनेटाइजर कंपनियां एवं दो अन्य कंपनियां हैं।
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