देश में वस्तु एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था लागू हुए अब जबकि एक साल पूरा होने को है, इस व्यवस्था के लिये नेटवर्क ढांचे का रखरखाव और संचालन करने वाली कंपनी जीएसटीएन का दावा है कि नेटवर्क प्रणाली अब पूरी तरह स्थिर है और यह ठीक काम कर रही है।
पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने सोमवार को कहा कि देश भर के निर्यातक 25,000 करोड़ रुपए वापस किए जाने का इंतजार कर रहे हैं। यह राशि जीएसटी नेटवर्क की ‘अक्षमता’ के कारण अटकी पड़ी है। उन्होंने कहा कि देश के निर्यातकों के तीन लाख आवेदन अटके हैं और उन्हें रिफंड का इंतजार है।
वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) में पंजीकृत इकाइयां जीएसटी पहचान संख्या (GSTN) में पंजीकृत ईमेल तथा मोबाइल नंबर बदलने के लिए वैध दस्तावेजों के साथ अपने न्यायाधिकार क्षेत्र के कर अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।
जीएसटी नेटवर्क (GSTN) ने किसी भी तरह की धोखाधड़ी को पकड़ने के लिए करदाताओं से जुड़ी जानकारी के विश्लेषण काम निजी इकाइयों से करवाने का फैसला किया है। कंपनी ने इसके लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं।
माल एवं सेवा (जीएसटी) परिषद ने शुक्रवार को अपनी 27वीं बैठक में यह फैसला किया है कि रिटर्न प्रक्रिया को सरल बनाने और अनुपालन को बढ़ाने के लिए कारोबारियों के लिए एक सिंगल मंथली रिटर्न फॉर्म पेश किया जाएगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की चार मई को एक महत्वपूर्ण बैठक होगी। बैठक में जीएसटी रिटर्न फॉर्म को सरल बनाने तथा अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था नियमों में जरूरी संशोधन समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
सरकार वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में बदलने की तैयारी में है। जीएसटीएन इस नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था मे सूचना प्रौद्योगिकी ( आईटी ) ढांचे को देखती है।
वित्त मंत्रालय ने आज कहा कि तकनीकी कारणों से जो करदाता जीएसटीएन पोर्टल पर जीएसटी लागू होने से पहले के ‘क्रेडिट’ को लेकर फॉर्म ट्रान-1 जमा नहीं कर पाए थे, वे अब 30 अप्रैल तक प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं।
एक राज्य से दूसरे राज्य में माल परिवहन के लिए इलेक्ट्रॉनिक यानी ई-वे (e-Way) बिल प्रणाली 1 अप्रैल से शुरू हो गयी है। कर्नाटक एक मात्र एक ऐसा राज्य है जिसने राज्य के भीतर भी माल परिवहन के लिए ई-वे बिल प्रणाली को लागू किया।
माल एवं सेवा कर व्यवस्था के तहत कारोबारियों और ट्रक परिचालकों को एक अप्रैल से एक राज्य से दूसरे राज्य में 50 हजार रुपए से अधिक का माल लाने-लेजाने के लिए सबूत के तौर पर इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली से प्राप्त किया गया ई-वे बिल साथ में रखना होगा।
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत ई-वे बिल सेवा शुरू होने में केवल तीन दिन शेष हैं, इसे देखते हुए सरकार ने कारोबारियों एवं ट्रांसपोर्टरों को ई-वे पोर्टल पर पंजीकरण कराने के लिए कहा है।
माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत ट्रांसपोर्टरों के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में माल परिवहन के वास्ते जरूरी इलेक्ट्रॉनिक वे-बिल का इस्तेमाल एक अप्रैल से अनिवार्य किया जाना चाहिए।
सरकार की केंद्रीकृत ई-वे बिल प्रणाली में गुजरात, हरियाणा और बिहार सहित कम से कम छह और राज्य आज शामिल हो गए।
वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (GSTN) ने अपने पोर्टल पर एक नई सुविधा पेश की है। इसके तहत करदाता GSTR 1 फार्म कितने समय में भरना है, इसका विकल्प चुन सकते हैं।
माह दर माह आधार पर GSTR-3B रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में लगातार सुधार देखा जा रहा है। 20 नवंबर, 2017 तक अक्तूबर के लिए 43.67 लाख इकाइयों ने रिटर्न दाखिल किया था
GST में एकमुश्त कर व्यवस्था का विकल्प चुनने वाले छोटे मझोले कारोबारियों को जुलाई-सितंबर तिमाही का अपना पहला कर विवरण दाखिल करने का मौका शीघ्र मिल सकता है।
उल्लेखनीय है कि इस साल एक जुलाई से GST व्यवस्था लागू हुई है। इस व्यवस्था के तहत GSTN के जरिये रिटर्न दायर किये जाते हैं
कारोबारी जो जीएसटी प्रणाली में अपना रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं लेकिन अब वे इससे बाहर निकलना चाहते हैं तो वे ऐसा जीएसटीएन पोर्टल के माध्यम से कर सकते हैं।
जीएसटीएन नेटवर्क के चेयरमैन अजय भूषण पांडे ने कहा कि GSTR-3B में शुरुआती रिटर्न भरने की समय सीमा 20 सितंबर की मध्यरात्रि को समाप्त हो गई है।
जीएसटी काउंसिल की शुक्रवार को होने वाली बैठक बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जा रही है। छोटे निर्यातकों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद की जा रही है।
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