राजस्व सचिव तरुण बजाज ने मंगलवार को कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत छूट वाले उत्पादों की सूची को कम करने की जरूरत है।
सरकर कर की तीन अन्य श्रेणियों को दो श्रेणियों में बदलने पर चर्चा करने के लिए तैयार है।
जीएसटी व्यवस्था शुरू होने के बाद से यह पांचवी बार है जब मासिक जीएसटी संग्रह 1.40 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है।
जीएसटी से पहले के दौर में एक उपभोक्ता को वैट, उत्पाद शुल्क, सीएसटी आदि को मिलाकर औसतन 31 प्रतिशत कर देना होता था।
चंडीगढ़ में हुई GST परिषद ने कुछ सामानों पर छूट को वापस लेने जबकि कुछ अन्य पर दरें बढ़ाये जाने का फैसला किया है।
पुडुचेरी के वित्त मंत्री के लक्ष्मीनारायणन ने कहा कि सभी राज्यों ने क्षतिपूर्ति व्यवस्था बढ़ाने की मांग की है।
जीएसटी परिषद की बैठक में जीएसटी से छूट की समीक्षा को लेकर मंत्री समूह (GoM) की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया।
जीएसटी परिषद की बैठक में जीएसटी से छूट की समीक्षा को लेकर मंत्री समूह (GoM) की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया।
जीएसटी परिषद की मंगलवार से चंडीगढ़ में शुरू हुई बैठक के बीच विपक्षी दलों के शासन वाले राज्य क्षतिपूर्ति को लेकर मुखर हो गए हैं।
आज हुई बैठक में विपक्ष शासित राज्यों ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत अपने राजस्व को बचाने के लिए राजस्व बंटवारे के फॉर्मूले को बदलने के लिए दबाव बनाना शुरू किया है।
पेट्रोल डीजल को जीएसटी में लाने पर भाजपा सांसद सुशील मोदी कह चुके हैं कि इससे राज्यों को सामूहिक रूप से 2 लाख करोड़ का सालाना नुकसान होगा।
ग्रुप आफ मिनिस्टर्स की बैठक में आनलाइन गेमिंग के अलावा घुड़दौड़ और कसीनो को हानिकारक सेवाएं मानते हुए इन पर 28 प्रतिशत जीएसटी की सिफारिश की गई है।
माना जा रहा है कि परिषद कुछ उत्पादों की दरों में बदलाव कर सकती है। इसके अलावा परिषद द्वारा अधिकारियों की समिति की सिफारिशों के अनुरूप 215 उत्पादों पर कर दरों को यथावत रखा जा सकता है।
GOM ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि ऑनलाइन गेमिंग के कुल मूल्य पर कर लगाया जाना चाहिए, जिसमें खेल में भाग लेने पर खिलाड़ी द्वारा दी जाने वाली एंट्री फीस भी शामिल है।
परिषद की बैठक छह महीने बाद हो रही है। बैठक में दर को युक्तिसंगत बनाने के अलावा विपक्ष शासित राज्य राज्यों को क्षतिपूर्ति के भुगतान पर गर्मागर्म चर्चा कर सकते हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद ने इसकी समयसीमा को मार्च 2026 तक विस्तार देने का फैसला किया।
इस कदम से जाली बिलों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। साथ ही कर चोरी रोकने में मदद मिलेगी।
कैट ने मांग की है कि बिना ब्रांड वाले खाने पीने के सामान को कर से मुक्त रखा जाए और किसी भी सूरत में इसको 5% कर दायरे में न लाया जाए।
मंत्रालय ने मई में कर संग्रह कम रहने की वजह बताते हुए कहा, ‘‘वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल की तुलना में मई में राजस्व संग्रह हमेशा कम रहा है।
इनडायरेक्ट टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ने से निवेशकों का विश्वास बढ़ा है। वह अब भारत में निवेश करने से नहीं हिचक रहे हैं।
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