केंद्रीय जीएसटी कानून 2017 की अनुसूची- तीन के तहत एक कर्मचारी द्वारा अपने नियोक्ता के लिए दी गई सेवाओं के तौर पर कर योग्य नहीं माना जा सकता है।
सीबीआईसी ने कहा कि जीएसटीएन पोर्टल पर तत्काल प्रभाव से शून्य फॉर्म जीएसटीआर-3बी भरने के तरीके के बारे में जानकारी उपलब्ध है।
बैठक में नुकसान की भरपाई के लिए फंड जुटाने के उपायों पर चर्चा
डीजीएपी ने पाया कि फूड प्रोसेसर का विदेश से आयात किया जाता था और इस पर फिलिप्स एमआरपी पर मूल्य वर्धित कर (12.50 से लेकर 15.95 प्रतिशत) के दायरे के अलावा 12.50 प्रतिशत की दर से प्रतिपूर्ति शुल्क का भुगतान कर रही थी।
सीबीआईसी ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए विलंब शुल्क लगाया जाता है कि करदाता समय पर रिटर्न दाखिल करें।
जीएसटी लेट फीस पर राहत के अनुरोधों के बाद वित्त मंत्री का बयान
सूत्रों ने यह भी कहा कि सरकार ने अभी राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए घाटे के मौद्रीकरण (नोट छाप कर पूरा करने) के बारे में कोइ निर्णय नहीं लिया है।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीआईसी) ने कहा कि इस कठिन समय में करदाताओं को राहत देने के लिए तेजी से लंबित कर वापसी का निर्णय किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी किसी भी देश ने इस महामारी समय के दौरान इस तरह का प्रयोग नहीं किया है।
मारुति के मुताबिक उत्पादन अभी निचले स्तर पर है ऐसे में कटौती का फायदा नहीं होगा
ईवाई के कर भागीदारी अभिषेक जैन ने कहा कि देश का बड़ा हिस्सा पूरी तरह से लॉकडाउन में है या फिर आंशिक लॉकडाउन के तहत है ऐसे में उद्योगों के लिए जून अंत की समय सीमा के भीतर यह काम करना मुश्किल होता।
विज्ञापन एजेंसियां भुगतान के लिए ज्यादा समय मांग रही है और उधार की अवधि 60 दिन से और अधिक बढ़ाने का दबाव बना रही हैं।
करों और सीमा-शुल्क वापसी योजनाओं के तहत इकाइयों के 18,000 करोड़ रुपए के दावे लंबित हैं
जीएसटीएन ने रविवार को कहा कि लॉकडाउन के पहले दस दिन के दौरान तीन अप्रैल तक उसके अधिकारियों ने 10,000 से अधिक नए पंजीकरण तथा करीब 8,000 रिफंड के आवेदनों का अपने स्तर पर जांच व निपटान किया है।
सरकार ने देश में कोरोना वायरस के रोकथाम के लिये लॉकडाउन (बंद) के कारण माल की एक राज्य से दूसरे राज्य में ढुलाई में आ रही बाधाओं को देखते हुए ई-वे बिल की वैधता 30 अप्रैल तक के लिये बढ़ा दी है।
अक्टूबर 2019 के बाद से पहली बार कलेक्शन 1 लाख करोड़ से नीचे
आर्थिक सुस्ती और कोरोना वायरस के प्रभाव के बीच मोबाइल फोन पर जीएसटी दर को 12 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने का उद्योग को नुकसान होगा और इसका रोजगार पर भी असर पड़ेगा।
जीएसटी परिषद ने मोबाइल फोन पर माल एवं सेवाकर (जीएसटी) दर को 12 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने का फैसला किया है।
वित्त मंत्री की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की बैठक में फैसला
जीएसटी परिषद की आज होने वाली बैठक में मोबाइल फोन, जूता-चप्पल और कपड़ा समेत पांच क्षेत्रों पर कर दरों को युक्ति संगत बनाया जा सकता है।
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