अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा है कि कर्ज के बढ़ते स्तर को देखते हुए भारत को मध्यम अवधि में राजकोषीय स्थिति सही करने की रणनीति अपनाने तथा अधिक महत्वाकांक्षी रणनीतिक एवं वित्तीय सुधारों पर अमल करने की तत्काल जरूरत है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में रिकवरी के संकेत दिखने लगे हैं
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का 2019-20 में 5 फीसदी विकास दर का अनुमान
आईएमएफ के बाद अब वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने भी भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को लेकर अपना अनुमान घटाते हुए बड़ा बयान दिया है।
संयुक्त राष्ट्र ने गुरुवार को कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 5.7 प्रतिशत रह सकती है। यह वैश्विक निकाय के पूर्व के अनुमान से कम है।
विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2019-2020 में भारत के लिए पांच प्रतिशत विकास दर का अनुमान लगाया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया के कई विकसित देशों के मुकाबले भारत वैश्विक आर्थिक मंदी से कम प्रभावित है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि आजाद भारत में पहली बार विकास दर के मुकाबले महंगाई दर को मोदी सरकार ने बढ़ने नहीं दिया।
फिच ने अपने बयान में कहा है कि आसान मौद्रिक और राजकोषीय नीति एवं संरचनात्मक उपायों की मदद से वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की वृद्धि दर रिकवर होकर 5.6 प्रतिशत और इसके अगले वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत रहेगी।
OECD के अनुसार दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में 2021 में वृद्धि दर 2.0 प्रतिशत रह सकती है।
भारत रोड नेटवर्क विलय एवं अधिग्रहण के अवसरों की तलाश में है। कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि उसका इरादा परियोजनाओं के अधिग्रहण या मौजूदा परियोजनाओं में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर वृद्धि हासिल करने का है।
वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ा है। इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था अब भी व्यापक संभावनाओं के साथ तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनी हुई है।
आईएमएफ के बाद अब विश्व बैंक ने रविवार को चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत का ग्रोथ रेट अनुमान घटा दिया है। विश्व बैंक के मुताबिक, भारत की विकास दर 6 फीसदी रह सकती है।
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल जून की तिमाही में आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर घटकर 3.5 प्रतिशत पर आ गई
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भरोसा जताया है कि भारत 2020-21 से आठ प्रतिशत से अधिक की आर्थिक वृद्धि दर हासिल कर लेगा।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के बारे में सुब्रमण्यम ने कहा कि तालमेल और सहयोग के आधार पर यह किया जा रहा है और इस नीति का मकसद बड़े आकार के बैंकों का लाभ हासिल करना है।
चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों- अप्रैल-मई में इन आठ बुनियादी क्षेत्रों की वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत रही, जो पिछले साल की इसी अवधि में 4.4 प्रतिशत रही थी।
रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में लगातार तीसरी बार रेपो दर में कटौती की है।
बीते वित्त वर्ष 2018-19 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि रर 6.8 प्रतिशत रही है, जो इसका पिछले पांच साल का सबसे निचला स्तर है।
आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में 2019 के दौरान दुनिया की 70 प्रतिशत अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती आने का अनुमान जताया है।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिये देश की आर्थिक वृद्धि दर का पूर्वानुमान शुक्रवार को सात प्रतिशत से घटाकर 6.80 प्रतिशत कर दिया।
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