संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की आर्थिक वृद्धि दर इस साल 7.1 प्रतिशत तथा अगले वर्ष यानी 2018 में 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
डॉयचे बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, मध्यम अवधि में भारत के ऋण-सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अनुपात में लगातार सुधार की उम्मीद है।
देश में 8 फीसदी सालाना ग्रोथ रेट के हिसाब से अर्थव्यवस्था का आकार 2030 तक तीन गुना से अधिक 7,250 अरब डॉलर या 469 लाख करोड़ रुपए हो जाने का अनुमान है।
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, GST के क्रियान्वयन से भारतीय अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी और 2017-18 में देश की GDP ग्रोथ रेट 7.2 फीसदी पर पहुंच जाएगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उम्मीद जताई कि GST एक जुलाई से लागू हो जाएगा। GST लागू होने से वस्तुएं और सेवाएं सस्ती होंगी तथा कर चोरी करना मुश्किल होगा।
जाने-माने अर्थशास्त्री मेघनाद देसाई ने कहा है कि उच्च राशि की मुद्रा को चलन से हटाने के फैसले का देश की इकॉनोमिक ग्रोथ पर प्रभाव कम ही रहा है।
रेटिंग एजेंसी Fitch कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 7.1% की दर से वृद्धि करेगी जबकि अगले दो वित्त वर्ष में यह बढ़कर 7.7% तक रहेगी।
8 नवंबर को जहां एक झटके में देश में चल रहे 86 प्रतिशत नोट को बंद कर दिया गया वहीं भारत की GDP ग्रोथ रेट पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ा है।
अरुण जेटली ने कहा कि भारत में तेज गति से वृद्धि करने की क्षमता है। गरीबी कम करने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
देश में नोटबंदी के बीच दिसंबर 2016 में वाहन-बिक्री 18.66 प्रतिशत घट गई। पिछले 16 साल में वाहनों की बिक्री में यह सबसे बड़ी मासिक गिरावट है।
सिंगापुर की ब्रोकरेज कंपनी DBS ने कहा कि नोटबंदी के कारण वृद्धि दर के नीचे जाने का बड़ा जोखिम है। कंपनी का अनुमान है कि GDP में 0.80% तक की कमी आ सकती है।
पतंजलि समूह ने वस्त्र निर्माण क्षेत्र में उतरने की घोषणा की है। योग गुरु रामदेव ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में समूह के कारोबार में 200% की भारी वृद्धि होगी।
Arun Jaitley ने कहा है कि भारत आज दुनिया में खास अहमियत रखता है जिसका कारण विपरीत माहौल में बेहतर करने की आकांक्षा है और यह पहले से कहीं अधिक है।
निक्की इंडिया सर्विसेज परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) सितंबर में 52 रहा जो अगस्त में 54.7 पर था। PMI में कमी ग्रोथ की धीमी रफ्तार को प्रदर्शित करता है।
भारत की पिछले 12 साल की औसतन 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर आम आदमी के जीवन में महत्वपूर्ण सुधार लाने में नाकाम रही है। यह बात जाने-माने विकास अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कही है।
अरविंद सुब्रमणियन ने कहा, अगर वैश्विक आर्थिक माहौल का समर्थन मिले तो भारतीय अर्थव्यवस्था अगले दस साल तक 8 फीसदी से अधिक वृद्धि दर हासिल कर सकती है।
ICD का कहना है कि सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बने रहने के साथ ही मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 7.5 फीसदी बने रहने की उम्मीद है।
वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी HSBC के अनुसार देश की वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में स्वत: ठीक करते हुए 7.4 फीसदी के स्तर पर बनी रह सकती है।
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