भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की विकास दर वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में घटकर 5.7 प्रतिशत रही है।
भारत में वृद्धि दर अभी भी चिंता का विषय है। डीएंडबी ने कहा है कि नोटबंदी के नौ माह और जीएसटी के दो माह बाद भी उपभोग और निवेश मांग कमजोर बनी हुई है।
घरेलू यात्री वाहनों की बिक्री वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 9-10 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी और अगले पांच वित्त वर्षों में यह बढ़कर 9 से 11 प्रतिशत तक होगी।
राइवेट सेक्टर के यस बैंक का शुद्ध लाभ चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 31.9 प्रतिशत बढ़कर 965.52 करोड़ रुपए रहा। पिछले साल लाभ 731.80 करोड़ रुपए था।
मॉर्गन स्टेनली के अनुसार लगातार चौथी तिमाही में निर्यात वृद्धि कमजोर हुई है लेकिन आयात में वृद्धि मजबूत बनी हुई है। यह मजबूत घरेलू मांग की ओर इशारा करता है
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के एक नए अध्ययन में कहा गया है कि भारत ग्लोबल ग्रोथ के स्तंभ के रूप में उभरा है और दशकों तक यह चीन से बढ़त बनाए रखेगा।
जर्मनी की लक्जरी कार निर्माता कंपनी मर्सिडीज बेंज ने अप्रैल-जून तिमाही में 3,521 कारों की किसी एक तिमाही में अब तक की सबसे बेहतर बिक्री होने का दावा किया।
वित्तीय सेवा कंपनी बजाज फाइनेंस लिमिटेड ने अपने डॉक्टर लोन खंड में 55 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की है।
ग्राहकों की मांग कमजोर रहने और GST से जुड़ी चिंताओं के चलते जून माह में विनिर्माण क्षेत्र की ग्रोथ (मैन्युफैक्चरिंग PMI) चार माह के न्यूनतम स्तर तक गिर गई
एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों की लोन ग्रोथ में इस भारी गिरावट का बड़ा हिस्सा मात्र 10 कंपनियों के खाते में गया है।
घरेलू म्यूचुअल फंड कंपनियों ने अप्रैल-मई में भारतीय शेयर बाजारों में कुल मिला कर 20,600 अतिरिक्त करोड़ रुपए का निवेश किया।
सीमेंट इंडस्ट्री की ग्रोथ 6-7 फीसदी रहने की संभावना है। सरकार द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर काफी बल दिए जाने से मांग अच्छी बनी रहने की उम्मीद है।
विश्वबैंक ने एक रिपोर्ट में यह कहा है कि नोटबंदी से भारत को राजस्व बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसका कारण यह है कि इससे अधिक से अधिक लोग कर के दायरे में आएंगे।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चौथी तिमाही में GDP की ग्रोथ रेट में गिरावट के पीछे नोटबंदी का प्रभाव होने की बात को नकारते हुए कहा कि इसके कई अन्य कारण भी हैं।
देश में प्रति व्यक्ति आय 2016-17 में 9.7 प्रतिशत बढ़कर 1,03,219 रुपए पर पहुंच गई, जो इससे पिछले साल 94,130 रुपए थी।
सरकार ने बताया कि 2016-17 में नए आधार वर्ष के मुताबिक GDP वृद्धि 7.1 प्रतिशत रही। वहीं चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में जीडीपी वृद्धि 6.1 प्रतिशत रही।
आठ कोर सेक्टर की ग्रोथ रेट अप्रैल में 2.5 प्रतिशत रही, जो पिछले तीन महीने का निचला स्तर है। कोयला, कच्चा तेल और सीमेंट उत्पादन में कमी आई है।
विश्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है। 2019-20 में इसके बढ़कर 7.7% हो जाने की संभावना है।
सरकार ने आज कहा कि IT सेक्टर ने उसे आश्वासन दिया है कि इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर छंटनी नहीं होगी और यह क्षेत्र 8-9 फीसदी की दर से वृद्धि कर रहा है।
SBI रिसर्च की इकोरैप रिपोर्ट में कहा गया है कि कच्चे तेल की कम कीमतें और अन्य सकारात्मक वृहद बुनियाद से देश की वृद्धि दर बढ़ सकती है।
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