गवर्नर के मुताबिक कोविड-19 महामारी ने सबसे ज्यादा उभरते और विकासशील देशों के गरीबों को प्रभावित किया है।
रिजर्व बैंक गवर्नर के मुताबिक महंगाई दर ज्यादा बढ़ने की संभावना नहीं है, वहीं एनपीए ऐसे स्तरों पर आ गये हैं जहां उन्हें संभाला जा सकता है।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि धान की रिकॉर्ड खरीद और ट्रैक्टर की बिक्री में बढ़ोतरी से आने वाले महीनों में मजबूत ग्रामीण मांग के लिए अच्छे संकेत मिलते है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि के अपने अनुमान को बनाए रखा है जबकि अन्य विश्लेषकों का अनुमान 7.9 प्रतिशत या उससे ज्यादा का है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के बाद राज्यों द्वारा स्थानीय प्रतिबंधों को हटाने के चलते आर्थिक सुधार ने गति पकड़ी है, लेकिन यह अभी भी 2019 के स्तर से पीछे है
CEA ने कहा कि कई राहत ऐलान किये जा चुके हैं। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के विस्तार की लागत 70,000 करोड़ रुपये बैठेगी। वहीं मुफ्त टीका एक और महत्वपूर्ण आर्थिक उपाय है।
गरीबी हटाने का लक्ष्य, सभी को भोजन का लक्ष्य, स्वास्थ्य, शिक्षा, लैंगिक समानता, पेयजल और स्वच्छता, ऊर्जा, आर्थिक विकास, इंफ्रस्ट्रक्चर, समानता आदि के आधार पर रैंकिंग
बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत रही है। पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई है
रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते पूरे वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में करीब 7.3 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है।
राज्य में पाबंदियों के कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होने से एजेंसी ने पांच अप्रैल को 2020-21 के लिये जीडीपी अनुमान को घटाकर 10.7 से 10.9 प्रतिशत कर दिया था।
भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 10.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा
भारत की 2021 में वृद्धि दर 12.5 प्रतिशत और 2022 में 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो काफी बेहतर है। वहीं चीन की वृद्धि दर 2021 में 8.6 प्रतिशत तथा 2022 में 5.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
आईएमएफ के द्वारा आज जारी किए गए अनुमानों के मुताबिक साल 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था 11.5 फीसदी की दर के साथ बढ़ सकती है। वहीं साल 2022 में इसमें 6.8 फीसदी की बढ़त देखने को मिलेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड महामारी के कारण विश्व की अर्थव्यवस्था में पिछले साल 4.3 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। इसमें इस साल 4.7 प्रतिशत और अगले वर्ष 5.9 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया गया है।
ग्रोथ में रिकवरी के साथ साथ एजेंसी को खुदरा मुद्रास्फीति के वित्त वर्ष 2021 के 6.4 प्रतिशत से कम होकर वित्त वर्ष 2022 में 4.6 प्रतिशत पर आ जाने की उम्मीद है।
अनुमान के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र में 3.4 फीसदी की बढ़त देखने को मिल सकती है। वहीं खनन क्षेत्र में वित्त वर्ष के दौरान 12.4 फीसदी की गिरावट संभव है। पिछले वित्त वर्ष में खनन क्षेत्र में 3.1 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई थी। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में इस दौरान 9.4 फीसदी की गिरावट संभव है।
एजेंसी के मुताबिक 587 कंपनियों के वित्तीय परिणाम से पता चलता है कि पहली तिमाही की तुलना में दूसरी तिमाही में भारतीय कॉरपोरेट जगत का राजस्व 34.9 प्रतिशत बढ़ा है। हालांकि, सालाना आधार पर यह 6.5 प्रतिशत कम रहा है।
दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी में 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है, वहीं पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी।
दूसरी तिमाही में घरेलू अर्थव्यवस्था में 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है, वहीं पहली तिमाही में घरेलू अर्थव्यवस्था में 23 फीसदी से ज्यादा की गिरावट रही थी। इससे पहले 4 बार भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी देखने को मिल चुकी है।
सर्वेक्षण के अनुसार, जून तिमाही में 10 प्रतिशत प्रतिभागियों ने अधिक उत्पादन की बात की थी। सितंबर तिमाही में ये आंकड़ा बढ़कर 24 फीसदी हो गया। हालांकि सर्वे में शामिल 80 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा है कि वो अगले 3 महीने अतिरिक्त लोगों को काम पर नहीं रखेंगे
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